नया मीडिया (इंटरनेट, सोशल मीडिया, ब्लॉगिंग, गूगल और फेसबुक आदि) : इतिहास और
वर्तमान
आज
का दौर ‘न्यू मीडिया’ का
है। वह दौर गया जब समाचारों को जल्दी में लिखा गया इतिहास कहने के साथ ही‘News Today-History Tomorrow’ कहा जाता था, अब
तो ‘News This
Moment-History Next Moment’ का दौर है। बिलों को जमा करने, नौकरी-परीक्षा के फॉर्म भरने-जमा करने, फोन करने,
पढ़ने व खरीददारी आदि के
लिए लम्बी लाइनों का दौर बीते दौर की बात होने जा रहा है, और जमाना ‘लाइन’ में लगने का नहीं रहा, ऑनलाइन’ होने
का आ गया है।
ऐसी स्थितियां न्यू मीडिया की वजह से आई हैं। न्यू मीडिया के साथ स्वयं भी यही हो
रहा है। वह स्वयं भी लगातार स्वरूप बदल रहा है। देश को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘डिजिटल इंडिया’
बनाने की बात कर रहे हैं।
अपने ताजा अमेरिका दौरे के दौरान डिजिटल इंडिया को रफ्तार देने सिलिकॉन वैली के
दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री के कुछ वक्तव्य न्यू मीडिया की बानगी पेश करते हैं:
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दुनिया
बदलने वाले आइडियाज सिलिकॉन वैली से ही निकलते हैं।
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मैं
आप में से अनेक से दिल्ली,
न्यूयार्क, फेसबुक,
ट्विटर, इंस्टाग्राम पर मिल चुका हूं। यह हमारे नए पड़ोसी हैं।
§
अगर
फेसबुक एक देश होता,
तो जनसंख्या के मामले में
दुनिया में तीसरे नंबर का देश होता।
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मोदी
ने कहा-जुकरबर्ग दुनियां को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं।
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सूचना
प्रोद्योगिकी ने आज के दौर को ‘Real
Time Information’ यानी ‘वास्तविक समय की सूचनाओं’ का बना दिया है। पहले जनता के सरकारों को उनकी
गलतियां बताने के लिए पांच साल में समय मिलता था, पर
आज वह हर पांच मिनट में ऐसा कर सकते हैं ।
§
उन्होंने
27 सितंबर को गूगल के मुख्यालय पहुंचकर गूगल के
भारतीय मूल के सीईओ सुंदर पिचई के साथ गूगल का 17वां
जन्म दिन भी मनाया।
§
दुनिया
ने कम्प्यूटिंग से संचार तक,
मनोरंजन से शिक्षा तक, डॉक्यूमेंट प्रिंट करने से प्रॉडक्ट प्रिंट करने तक और
इंटरनेट ऑफ थिंग्स तक,
काफी कम समय में काफी लंबा
रास्ता तय कर लिया है।
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आजकल
गूगल के टीचरों को कम प्रेरणादायक और बड़े-बुजुर्गों को ज्यादा बेकार बना दिया है, जबकि ट्विटर ने हर किसी को रिपोर्टर बना दिया है।
§
अब
आप जग रहे हैं या सोए हैं,
इससे फर्क नहीं पड़ता। फर्क
पड़ता है कि आप ऑनलाइन हैं या ऑफलाइन।
युवाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण बहस बन गई है
कि एंड्राइड,
आईओएस या विंडोज में से
किसे चुनना चाहिए।
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यहां
तय हुआ कि भारत गूगल के साथ मिलकर 500
से ज्यादा रेलवे स्टेशनों
पर वाई-फाई लगाएगा। माइक्रोसॉफ्ट के साथ देश के पांच लाख गांवों में कम लागत में
बॉडबैंड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
§
जब
आप सोशल मीडिया या एक सर्विस के विस्तार के पैमाने और गति के बारे में सोचते हैं
तो आपको यह मानना ही पड़ता है कि उम्मीद के मुहाने पर लंबे वक्त से खड़े लोगों की
जिंदगी भी इसके साथ-साथ बदली जा सकती है। मित्रो, इसी
धारणा से पैदा हुआ है-डिजिटल इंडिया।
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हम
चाहते हैं कि हमारे नागरिक हर ऑफिस में अत्यधिक कागजान के बोझ से मुक्त हो जाएं।
हम बिना कागजों के लेन-देन करना चाहते हैं। हम हर नागरिक के
लिए डिजिटल लॉकर सेट-अप करेंगे,
जिसमें वह अपने निजी
दस्तावेज रख सकें,
जो कई विभागों में काम आ
सकते हैं।
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