भारत
में इंटरनेट 1980
के दशक मे आया, जब एर्नेट (Educational
& Research Network) को
भारत सरकार के इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम (UNDP) की ओर से प्रोत्साहन मिला। सामान्य उपयोग के
लिये इंटरनेट 15
अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ,
जब विदेश सचांर निगम
लिमिटेड (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की। भारत मे इंटरनेट
प्रयोग करने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, और वर्तमान 400
मिलियन यानी 40 करोड़ से अधिक लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो चुकी है, जो कि देश की कुल जनसंख्या का करीब 33 फीसदी और दुनिया के सभी इंटरनेट प्रयोक्ता देशों के हिसाब
से महज 10 फीसदी है। मौजूदा समय में इंटरनेट का प्रयोग
जीवन के सभी क्षेत्रों-सोशल मीडिया,
ईमेल, बैंकिंग,
शिक्षा, ट्रेन इंफॉर्मेशन-रिजर्वेशन, ऑनलाइन
शॉपिंग, अंतरिक्ष प्रोद्योगिकी, बीमा,
विभिन्न बिल घर बैठे जमा
करने और अन्य सेवाओं के लिए भी किया जा रहा है।
भारत में एक साल में बढ़े दस करोड़ नए इंटरनेट यूजर !
भारत
ने टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या के मामले में कब अमेरिका को पीछे छोड़ा, यह बात शायद ज्यादातर लोग भूल चुके हैं। अलबत्ता ताजा खबर
यह है कि इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या के मामले में भी भारत दिसंबर 2015 में अमेरिका से आगे निकल जाएगा। इंटरनेट एंड मोबाइल
एसोसिएशन ऑफ इंडिया और आईएमआरबी की ताजा रिपोर्ट कहती है कि दिसंबर तक भारत में
इंटरनेट यूजर्स की संख्या 40
करोड़ का आंकड़ा पार कर
जाएगी। आज चीन इस मामले में पहले और अमेरिका दूसरे नंबर पर है। भारत ने यह करिश्मा
यूं कर दिखाया कि पिछले एक साल में उसने इंटरनेट प्रयोक्ताओं की संख्या में 49 फीसदी का भारी-भरकम इजाफा किया है। रिपोर्ट कहती है कि भारत
को एक करोड़ के आंकड़े से दस करोड़ तक पहुंचने में एक दशक लगा था और दस करोड़ से
बीस करोड़ तक पहुंचने में तीन साल लगे। लेकिन तीस करोड़ से चालीस करोड़ तक पहुंचने
में सिर्फ एक साल लगा है। इस रफ्तार को देखते हुए आने वाले वर्षो में भारत में
इंटरनेट के प्रयोग की स्थिति क्या होगी,
इसका अंदाजा लगाना मुश्किल
नहीं है।(बालेन्दु शर्मा दाधीच द्वारा राष्ट्रीय
सहारा (उमंग) में 22 नवम्बर
2015 के अंक में लिखे गए एक लेख के अनुसार)
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