मनुष्य
एक सामाजिक प्राणी है। खुद को अधिक पापुलर दिखाने का उसे शौक रहता है। अधिक पापुलर
दिखना यानी अधिक दोस्त होना। सोशियल नेटवर्किंग साइट्स मनुष्य के इसी मनोविज्ञान
को खूब भुना रही हैं। दूसरे,
व्यक्ति अपने किसी विचार
पर तत्काल बहुत से लोगों की प्रतिक्रियायें जानना चाहता है। मीडिया में भी ऐसे “टू-वे कम्युनिकेशन” की ही अपेक्षा की जाती है। सोशियल साइटें
तत्काल प्रतिक्रिया और तारीफें दिलाकर मनुष्य के इस मनोविज्ञान की पूर्ति करती
रहती हैं। आस्ट्रेलिया की कंपनी यू-सोशल तथा कई अन्य कंपनियां तो सोशियल साइटों पर
पैंसे देकर दोस्त उपलब्ध कराने का गोरखधंधा भी करने लगी हैं। इनका दावा है कि 125 पाउंड देने पर एक हजार दोस्त उपलब्ध कराऐंगे। पर अक्सर ऐसे
दोस्त व कंपनियां फर्जी ही होती हैं। आज के दौर में दुनिया में दो तरह की
सिविलाइजेशन यानी संस्कृतिकरण की बात भी कही जाने लगी है, वर्चुअल और फिजीकल सिविलाइजेशन। सोशियल मीडिया इसी वर्चुअल सिविलाइजेशन का एक
स्टेशन है। कहा जा रहा है कि आने वाले समय में जल्द
ही दुनिया की आबादी से दो-तीन गुना अधिक आबादी इंटरनेट पर होगी। दरअसल, इंटरनेट एक ऐसी टेक्नोलाजी के रूप में हमारे सामने आया है, जो उपयोग के लिए सबको उपलब्ध है और सर्वहिताय है। सोशल
नेटवर्किंग साइट्स संचार व सूचना का सशक्त जरिया हैं, जिनके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रख पाते
हैं। यही से सामाजिक मीडिया का स्वरूप विकसित हुआ है। सामाजिक या सोशल मीडिया के
कई रूप हैं जिनमें कि इंटरनेट फोरम, वेबलॉग, सामाजिक
ब्लॉग,
माइक्रो ब्लागिंग, विकीज, सोशल
नेटवर्क,
पॉडकास्ट, फोटोग्राफ, चित्र, चलचित्र
आदि सभी आते हैं। अपनी सेवाओं के अनुसार सोशल
मीडिया के लिए कई संचार प्रौद्योगिकी उपलब्ध हैं। सामाजिक मीडिया अन्य पारंपरिक
तथा सामाजिक तरीकों से कई प्रकार से एकदम अलग है। इसमें पहुंच, आवृत्ति,
प्रयोज्य, ताजगी और स्थायित्व आदि तत्व शामिल हैं। इंटरनेट के प्रयोग
से कई प्रकार के प्रभाव होते हैं। निएलसन के अनुसार ‘इंटरनेट प्रयोक्ता अन्य साइट्स की अपेक्षा सामाजिक मीडिया
साइट्स पर ज्यादा समय व्यतीत करते हैं’। माइक्रो ब्लॉगिंग की यह बिधा विख्यात हस्तियों को भी लुभा रही
है। इसीलिये ब्लॉग अड्डा ने अमिताभ बच्चन के ब्लॉग के बाद विशेषकर उनके लिये
माइक्रो ब्लॉगिंग की सुविधा भी आरंभ की है।
No comments:
Post a Comment