‘ऐसे दौर में जहां
सूचना वस्तु बन गई है और अखबारों का कारोबारी मॉडल इतना तार-तार हो गया है कि उसकी मरम्मत करना
मुश्किल है, ऐसे में
आत्मविश्लेषण और नए विचारों पर गौर करने में कुछ ऊर्जा खपत करना खासा मददगार होगा l इन बातों को देखकर लगता है कि इस भागम्भाग मे कही अख़बार
अपनी चमक ना खो दे l
हमैं कुछ तो पहल करनी ही पड़ेगी वर्ना हम और हमारा समाज कही खो ना जाये इस भागम्भाग की इस दौड मे, आगे बढ़ने की होड़ मे !!
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