राजनीति
के कोई अन्य अर्थ कभी नहीं होते, राजनीति
सिर्फ राजनीति होती है- विशुद्धतः राज करने की नीति !,
इसमें किसी अन्य विषय की मिलावट नहीं
होती ! संसद में जो कुछ कांग्रेस पिछले साल से कर रही है,
वह राजनीति ही है,
अर्थात राज कैसे किया जाए?
सत्ता हो तो सत्ता चलाई कैसे जाए,
सत्ता न हो तो सत्ता पायी कैसे जाए-
जिसे हम विपक्ष की राजनीति भी कह सकते हैं, कांग्रेस
वर्तमान में विपक्ष वाली राजनीति निभा रही है, जिसमें
वह सही दिशा में है, वह ये संदेश देने में पूर्णतः सफल हुई
है कि चाहे 44 जैसे अल्पमत में भी हो,
फिर भी इच्छाशक्ति के बल पर प्रचण्ड
बहुमत, प्रचण्ड जन समर्थन की सरकार को भी
निठल्ला बैठने पे मजबूर किया जा सकता है !
देश की सत्ता के लिए भाजपा एक नौसिखिया
दल है, जिसकी राजनीति में राष्ट्रवाद,
नैतिकता आदि विषयों की भटकन होती रहती
है, मगर प्रतिपक्ष में बैठी कांग्रेस सत्ता
चलाने का अथाह अनुभव रखती है, वह जानती
है कि सत्तापक्ष किस स्थान पे घुटने टेक सकता है | कांग्रेस
के अनुभव का प्रमाण इस बात से मिल जाता है कि खुलेआम लोकतंत्र को आपातकाल में
घोंटने के मात्र 3 साल बाद ही इंदिरा गांधी इसी देश की
प्रधानमंत्री बन गयीं थीं.. यही राजनीति है ! राजनीति में कोई शत्रु नहीं होता,
बस विपक्षी होता है,
राजनीति में किसी को मारना नहीं होता,
बस अपना बनाना होता है! कांग्रेस की
राजनीति राष्ट्रवाद और सिद्धांतों आदि में नहीं उलझती,
वहीं भाजपा का राजनीतिक इतिहास वह रहा
है जिसमें एक मत से सत्ता की बलि दे दी जाती है, मगर “दूसरे
रास्ते” नहीं अपनाए जाते !
भाजपा में तेज नेता जरूर हैं ,
सत्ता पा सकते हैं ,
मगर सत्ता बनाए रखना कांग्रेस से सीखना
चाहिए ! कांग्रेस सदन को रोकती है , खुलेआम
रोकती है सभी जानते हैं ! वहीं भाजपा इसका विरोध विकास के लिए अपनी सक्रियता दिखा
कर करती है, जो कि निष्प्रभावी रहता है,
यदि विकास और देशनीति ही सत्ता के कारक
होते तो देश को Highways व ग्रामीण सड़क देने वाले और परमाणु
सम्पन्न देश घोषित करवाने वाले अटल जी कभी सत्ता से बाहर न होते ! ये बात स्वयं
भाजपा भी जानती है कि उन्हें सत्ता गुजरात के विकास पर नहीं बल्कि अन्य भी कारणों
से प्राप्त हुई है ! मोदी जरूर मजदूर no.1 होंगे
मगर सिर्फ मेहनत करने से मजदूर मालिक नहीं बन जाता, जितनी
मेहनत वह करता है उतनी और उससे करवाई जाती है , मालिक
वही होता है जो मेहनत करवाना जानता है , और ये
काम कांग्रेस ने खूब किया है !
कांग्रेस स्वच्छन्दतः मोदी को तानाशाह
घोषित करती है जबकि अठारह साल से कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सोनिया गांधी को चुनौती
देने वाला कोई हुआ ही नहीं ! रोचक बात यह है कि इसी कांग्रेस में तिलक,मालवीय,
नेताजी और पटेल जैसे नेता भी रह चुके
हैं, मगर साहस नहीं जो कोई इनका नाम भी ले
सके, आजमाकर देखें कि कांग्रेस का नाम सुनते
ही सिर्फ सोनिया गांधी का ही चेहरा याद आता है! इतना ही नहीं फैसले सही हों या गलत
, कोई भी कांग्रेस सदस्य Madam
पर प्रश्न नहीं उठा सकता! 44
seats हों या शून्य हो जाएँ,
मुखिया Madam थीं और Madam
ही रहेंगीं ! यही है राज करने की नीति l
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