Friday, 25 February 2022

मेरी एक्स-प्राणेश्वरी, तुम्हारे प्रेम की सौगंध

-IV-


जिस रोज़ तुम जान जाते हो कि सब आगे बढ़ जाते हैं उस रोज़ तुम्हें दुख कम लगता है। मैं मानता हूं कि प्यार अमर है और अगर नहीं है, तो बराबर इंजेक्शन लगा अमर रखा जाना चाहिए। खाल में भूसा भरकर कमरे में लटका देने से जैसे शेर अमर हो जाता है, वैसे ही प्यार भी अमर रहता है। मेरा आप तीनों से प्यार बिलकुल नहीं मर सकता। आज भी आप लोग चाहें तो इस प्यार को अमर बनाये रखने के लिए कुछ कर सकती हैं।


कुंतला, मुझे तुम अपने बच्चों की ट्यूशन पर क्यों नहीं लगा लेती? तुम तीनों बच्चों के लिए हज़ार रुपये उस मास्टर को देती हो। मैं तुम्हारे बच्चे पढ़ा दूंगा, मुझे दिया करो वे रुपये। विश्वास दिलाता हूं कि मेरा प्रेम अब अपनी मजबूरियां समझता है और पवित्र रहेगा। प्राचीन काल में रानियां अपने पुराने प्रेमियों को राजा से कहकर अच्छी नौकरी दिला देती थीं, क्या तुम इतना नहीं कर सकतीं? सच कहता हूं कि एक शांत मास्टर की तरह घर आऊंगा। प्रेम की तीव्रता से अधिक ज़रूरी है कि हजार की आमदनी निरंतर बनी रहे। तुम चाहो तो मुझे यह सेवा सौंप दो। तुम्हारे प्रेम की सौगंध, मैं ईमानदारी और लगन से काम करूंगा। 

नलिनी, तुमसे क्या कहूं, शायद तुम मानोगी नहीं, मुझे भूल न गयी हो, ऩफरत न करती हो और प्रेम का ज़रा भी अंश, ज़रा भी स्मृति शेष हो तो मुझ पर एक कृपा कर दो। तुम्हारे पति मेरे बॉस के बहुत गहरे दोस्त हैं। तुम्हारे घर अक्सर मेरे बॉस आते हैं और तुम उनके घर जाती हो। (हमारी कम्पनी के कर्मचारियों में इसे लेकर बड़ी अ़फवाह भी है) क्या तुम मेरे बॉस से कहकर मेरा प्रमोशन नहीं करवा सकतीं? 

तुम्हारा-मेरा प्यार है और अमर रहेगा। मेरी आर्थिक स्थिति अगर खराब भी रही तो भी मैं तुम्हें सदा याद करूंगा और तुम्हारे सुख की कामना करूंगा, पर यदि मुझे प्रमोशन मिल जाये, तुम्हारे स्नेह के कारण मिल जाये, तो सच मानो मैं तुम्हें सदैव दुआएं दूंगा। आठ साल से उसी पद पर सड़ रहा हूं, पर मेरी कोई स़िफारिश नहीं है। तुमसे सुंदर, तुमसे कोमल और तुमसे अधिक प्रभावशाली स़िफारिश मेरी कम्पनी के मालिक के लिए कोई और नहीं होगी। अपनी स्नेहमयी बांहों से मुझे उबारो नलिनी, तुम्हारा-मेरा प्यार अमर है।

और चंद्रा, तुम चाहो तो क्या नहीं कर सकतीं? तुम्हारी पहुंच विदेश विभाग तक है। मुझे कोई अच्छी-सी नौकरी दिला दो। मेरे साथ बिताये उन सुखद दिनों को यदि भूल नहीं गयीं, यदि तुम्हारा प्रेम झूठा नहीं था, तो मेरे लिए वहां दिल्ली में कोई काम खोज दो। तुम्हारे पति अपने दूतावास से बहुत-सा काम देते हैं, अनुवाद और लेखन आदि का, तुम मेरी लेखनी पर पागल रही हो, क्या तुम्हें खयाल नहीं आता कि तुम मेरी आज मदद कर सकती हो? मैं तुम्हें प्यार करता हूं, चंद्रा! तुम्हारी याद में रात-रात-भर सो नहीं पाता। यदि अनुवाद का काम मिल जाये तो रात को वही कर डाला करूं। चंद्रा, तुम मुझे भूली नहीं होगी।

प्रेम की पीड़ा गहरी होती है, पर गरीब की पीड़ा उससे भी गहरी होती है। तुम मेरी एक पीड़ा दूर नहीं कर सकीं, तुम मेरी दूसरी पीड़ा दूर कर सकती हो। मैंने कॉलेज के दिनों में प्रेम किया, पर अब एक बी.ए. पास क्लर्क की कतिपय महत्त्वाकांक्षाएं ही मुझमें शेष हैं कि मैं और मेरे बाल-बच्चे सुखी रहें।

“कहते हैं जैसे, हवा के एहसास को भूला नहीं जाता, समन्दर की लहरें उठकर -गिरकर समंदर में ही लौट आती हैं, मौसम कितने भी बदले लेकिन हर बार लौटते हैं। प्यार कितना भी दूर चला जाए, वह तब तक भीतर रहता है जब तक तुम हो। भले ही उसका रूप बदल जाए, उसकी याद धूमिल पड़ जाए लेकिन जो ज़िंदगी का हिस्सा हो उसे ज़िंदगी से अलग नहीं किया जा सकता, सिर्फ़ स्वीकारा जा सकता है। किसी को प्यार करने में तुम जितने साल बिताते हो ठीक उतनी सदियाँ तुम्हें उसे न याद करने में लगती है। किसी को भूलना नहीं होता लेकिन याद न करना भी अपने बस में कहाँ।"

तुम्हारे दरवाज़े पर अपनी पुरानी मुहब्बत गिरवी रख मैं यह पत्र लिख रहा हूं। 

सदैव तुम सबका ❣️

No comments:

Post a Comment