शहर का मौसम धीरे-धीरे बदलने लगा है। ये फरवरी के दिन हैं लेकिन आसमान में बादल छाए हैं। उसने उसकी ओर देखा और बोली –“जब से तुम गए हो शहर ने तुम्हारी पसन्द का मौसम ओढ़ लिया है।”
वह उसे देख मुस्कुराता रहा फिर बोला –
“कहा था न मेरे न होने पर भी मैं रहूँगा।”
उसने मुड़कर देखा उसके आसपास कोई भी नहीं था सिर्फ़ वही थी।
दूर तक धरती पर बारिश की बूँदे छिटक आयीं थी। यह प्रेम का महीना है प्रकृति ने अपने होने और प्रेम के अहसास को हर ओर दर्ज़ कर दिया है।
पेड़ों पर नई कोंपलें उगने लगी हैं। उसने धरती से जाना लोग बदल जाते हैं, प्रकृति भी समय के साथ बदल जाती है लेकिन प्यार और उससे जुड़े एहसास मन के किसी कोने में गहरे और तरल हो जाते हैं। प्रेम के एक बिंदु पर प्रेम नहीं रहता वह किसी की उपस्थिति और अनुपस्थिति की समझ बन जाता है। मैं तुम्हें, तुम भी मुझे समझने की कोशिश करना।
मोबाइल फोन की तरह मन भी अलग-अलग परिस्थिति में अलग-अलग मोड पर सैट होता है। सम्भवतः मनोविज्ञान में इसी को मूड कहा जाता हो। कभी हम बहुत ख़ुश होते हैं, मतलब हम हैप्पी मोड में हैं। ऐसे ही सैड मोड, कन्फ्यूज़्ड मोड और एंग्री मोड भी हम सबके भीतर ऑन-ऑफ होते रहते हैं। यह सहज मानवीय स्वभाव भी है। लेकिन कुछ लोग पूरा जीवन एक ही मोड में बिता देते हैं। इनके सॉफ्टवेयर में बाक़ी किसी मोड पर जाने की वायरिंग ही नहीं होती। आप किसी भी परिस्थिति का वायर छू दो, वह उनके फिक्स मोड को ही पॉवर सप्लाई करेगा।
जिंदगी का असली आनन्द किसी को अपने मुताबिक बदलने की जद्दोजहद में नही बल्कि उन रास्तों को खोजने में है जिन रास्तों पर दो लोग अपनी विभिन्नताओं के बावजूद, एक दूसरे का हाथ पकड़कर चल सके और इस सफर को और ज्यादा खुशनुमा बना सकें…….
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