आज सुबह- सुबह जब टीवी खोला तो पाया झांसी रेलवे स्टेशन का नाम वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन रख दिया गया। आंखिर यह सब चल क्या रहा है देश में इतिहास झूठ है या फिर झूठ का इतिहास बनाना है। वैसे आज प्रधानमन्त्री पद पर रहते हुए सबसे ज़्यादा बार देवभूमि आने वाले मोदी जी की एक बार फिर आज कुमाऊँ के द्वार हल्द्वानी में जनसभा होनी है। यह कल्पना से परे की बात थी कि महारानी लक्ष्मीबाई का नाम झांसी के बिना भी लिया जा सकता है। बल्कि महारानी की ख्याति ही झांसी वाली रानी के रूप में है। झांसी वाली रानी नाम इतना विख्यात है कि दिल्ली सहित कई शहरों में सड़कों के नाम रानी झांसी रोड हैं। कई भारतीय महिलाओं के नाम रानी झांसी रखे जाते हैं। महारानी के बारे में सबसे प्रसिद्ध कविता में भी उन्हें झांसी वाली रानी ही कहा गया है। रानी लक्ष्मीबाई का प्रसिद्ध वाक्य भी यही है कि मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी।
दूर कहीं सितारों के बीच महारानी लक्ष्मी बाई की आत्मा भी यह देख अचंभित हो रही होगी कि उनसे जो झांसी अंग्रेज नहीं छीन पाए उसे अंततः मोदी और योगी की सरकार ने छीन कर दिखा दिया। अब तक भारत के हर कोने में हमें इस शहर का परिचय देने में बिल्कुल दिक्कत नहीं आती थी। झांसी का नाम लेते ही लोग कहते थे अच्छा झांसी वाली रानी, वही शहर। ऐसा कहने वाले लोग अक्सर यह भी नहीं जानते थे कि झांसी बुंदेलखंड में है या उत्तर प्रदेश में। झांसी अपने आप में मुकम्मल पहचान थी। शहरों के नाम अपने आप में संस्कृति, इतिहास और स्मृति के संपूर्ण दस्तावेज होते हैं। नाम परिवर्तन के बाद यह रेलवे स्टेशन भी बाहर के लोगों के लिए अपना ऐतिहासिक महत्व खो देगा। और उसके साथ ही झांसी वाली रानी की कीर्ति कथा भी सहज रूप से स्मृति में नहीं उभरेगी। सम्मान करने के फेर में आप वीरांगना को विस्मृत कर रहे हैं। मथुरा के बिना कृष्ण नहीं हो सकते, अयोध्या के बिना राम नहीं हो सकते, झांसी के बिना लक्ष्मीबाई नहीं हो सकतीं।1857 की महान क्रांति की महानतम वीरांगना से उसके शहर का नाम अलग करके महान मूर्खता का परिचय दिया जा रहा है। वैसे बड़े बुजुर्ग कह गए हैं कि जैसी प्रजा वैसा राजा। वैसे मुझे इस बात पर भी संदेह नही है कि किसी रोज़ मैं हर रोज की तरह सुबह नीद से जागूँ और सुनाई पड़े की मेरे प्रदेश का नाम बदल दिया गया है। क्यूँकि साहब का यहाँ से बहुत पुराना नाता है, क्या पता अगला नम्बर देवभूमि का ही हो ? फिर हम सब कहेंगे एक रात ऐसी घटना घटी कि हम सब सोये तो उत्तराखंड में थे, सुबह जब आँख खुली तो हम यहाँ……… थे। ये चमत्कार करने की क्षमता हमारे देश के साहब को है, अब क्या कहने।
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