जो मैं ऐसा जानती के प्रीत किये दुख होय
नगर ढिंढोरा पीटती, के प्रीत न करियो कोय।
मोहे भूल गये प्रेम गीत वाले, भूल गये साँवरिया
आवन कह गये, खुद न आये और लीनी न मोरी खबरिया
मोहे भूल गये साँवरिया..
दिल को दिए क्यों दुख बिरहा के, तोड़ दिया क्यों महल बना के
आस दिला के ओ बेदर्दी फेर ली काहे नजरिया
मोहे भूल गये साँवरिया…
नैन कहे रो-रो के सजना, देख चुके हम प्यार का सपना
प्रीत है झूठी, प्रीतम झूठा, झूठी है सारी नगरिया
मोहे भूल गये साँवरिया…
बढ़िया है राजू भाई ले आओ फिर अब प्रीत
ReplyDeleteबढ़िया है राजू भाई ले आओ अब प्रीत को
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