Saturday, 25 December 2021

"प्रतिनिधित्व लोकतंत्र"



एक बार जब "हस्तिनापुर की राज्यसभा" में "युधिष्ठिर" और "दुर्योधन" में से भावी युवराज के चयन का प्रश्न चल रहा था तब "विदुर" ने दोनों की न्यायिक क्षमता जांचने का सुझाव दिया। राज्यसभा में चार अपराधी बुलाये गए जिन पर कि हत्या का आरोप सिद्ध हो चुका था। बारी थी सजा निर्धारित करने की। पहला नंबर "दुर्योधन" का आया। दुर्योधन ने तुरंत चारों को मृत्युदंड सुना दिया। 

फिर "युधिष्ठिर" का नंबर आया। युधिष्ठिर ने पहले चारों का वर्ण पूछा। फिर वर्ण के हिसाब से शूद्र को 4 साल, वैश्य को 8 साल, क्षत्रिय को 16 साल की सजा दी। और "ब्राह्मण" को अपनी सजा स्वयं निर्धारित करने के लिए कहा। 


"लोकतंत्र" में इस कहानी का काफी महत्व है। जब मैं UPSC की तैयारी कर रहा था तो इंटरव्यू गाइडेंस के लिए UPSC के एक रिटायर्ड मेंबर महोदय का लेक्चर सुन रहा था। उन्होंने बताया कि इंटरव्यू में चाहे जो बोलें मगर "डेमोक्रेसी" के खिलाफ कुछ ना बोलें। आप इंटरव्यू में लोकतंत्र में कमियां नहीं निकाल सकते। जो पहली चीज मेरे दिमाग में चमकी वो ये कि "तानाशाह" भी तो यही करते हैं। मतलब क्या हम लोकतंत्र नामक "तानाशाही" में रहते हैं ? और असली समस्या ये हैं कि हमारा लोकतंत्र कोई शुद्ध लोकतंत्र नहीं है। ये तो "प्रतिनिधित्व लोकतंत्र" है। इस में तो जनता प्रतिनिधि चुनती है, जो कि "नेता" कहलाते हैं और सिविल सर्वेन्ट्स सेलेक्ट करने वालों का कहना है कि आप इसमें भी खामियां नहीं निकाल सकते। मतलब जो भी IAS/IPS चुने जा रहे हैं वे पहले से ही नेताओं को सर्वेसर्वा मानने के लिए प्रशिक्षित हैं।अगर ऐसा है तो जो हो रहा है वो बिलकुल सही हो रहा है। 

नेता चाहे बीच "कोरोना" में चुनावी रैली करे, या किसी के मुंह पर थूक दे, वो गलत हो ही नहीं सकता, विशेष रूप से तब जब वो सत्ता पक्ष से हो। क्योंकि सही-गलत का निर्णय तो उन्ही सिविल सेवा अधिकारियों के पास हैं न जो पहले से ही लोकतंत्र द्वारा चुने हुए नेताओं को "भगवान" मानने के लिए प्रोग्राम्ड हैं। वहीं अगर बैंक में कैशियर दो मिनट के लिए भीड़ ख़तम होने के बाद, मास्क नीचे करके नाक खुजा ले तो DM साहब आ कर जुर्माना ठोक देंगे। चाहे वही DM साहब बाद में खुले आम बिना मास्क के मीटिंग करते नजर आएं। इस हिसाब से तो अगर एक आम इंसान अपने काम पर जाते हुए अनजाने मे किसी मामूली सी COVID गाइडलाइन को तोड़ते हुए पाए जाने पर पीटा जाता है और उस पर जुर्माना लगाया जाता है तो इस मे कुछ भी गलत नहीं है।

क्योंकि आज जिस समाज में हम रह रहे हैं, यहां अपराध का निर्णय इस बात से होता है कि अपराध किया किसने हैं।

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