Sunday, 20 September 2020

(दास्तान-ए-कोरोना) यूँ ही मन किया और कोरोना जांच करा ली!


आप सभी साथियों को नमस्कार,
इस दुष्कर कोरोना काल में किसी हिचक का कोई मतलब नहीं है। रोज़ नये-नये अनुभव हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि हज़ार किताबों से जो न सीखा, वह इन कुछ महीनों ने सिखा दिया। एक वायरस ने जैसे सरे बाज़ार नंगा कर दिया है। नहीं, शरम-वरम की बात नहीं है, बात एक हक़ीक़त को पहचानने की है।

नहीं समझे। चलिये कोशिश करता हूँ।

बहुत से मेरे साथियों के आग्रह व हमारे समाज में कोरोना के नाम पर फैली भ्रांतियों को शोसल मीडिया के माध्यम से आपके सम्मुख रखने की एक छोटी सी कोशिश करने जा रहा हूँ आशा है आपको अवश्य पसंद आयेगी। इसे आप मेरी आपबीती भी कह सकते है और इसे कोरोना पॉजिटिव होने पर सबक के रूप में भी अपना सकते हैं। कोशिश करूँगा समाज का हर पहलू आपके सामने लाने की, जो मुझसे इत्तेफाक नही रखते वो मेरी इन पोस्टों से दूरी बनाकर चलें तो बेहतर होगा।



31 अगस्त सोमवार का दिन था, मौसम काफ़ी सुहावना लग रहा था, सब कुछ पहले की तरह सामान्य व शान्त था। सुबह-सुबह मेरे एक मित्र का फ़ोन आया, पहले एक दूसरे का हाल समाचार जाना फिर वर्तमान हालात व समाज पर कुछ बातें हुई, फिर जाकर उन्होंने बोला भाई वो पत्रकार साहब भी शायद कोरोना संक्रमित हो गए हैं ऐसी खबर सुनने में आ रही है, आपको मालूम है? क्या वो सच में कोरोना पॉजिटिव हैं? कुछ दिन पहले तो मुलाक़ात हुई थी ऐसा कुछ लगा तो नही। इस पर मैंने कहा चलो मालूम करता हूँ, अभी मुझे नही पता मैं पिछले दो दिनो से घर पर ही था। 
मैंने अपने पत्रकार मित्र को फोन लगाया उनसे बात की तो पता लगा वो सही में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं और दो दिन से आइसोलेशन पर हैं। फिर थोड़े स्वास्थ्य को लेकर बात हुई तो उन्होंने बताया कि सब कुछ सामान्य है, कोई परेशानी नही है, बस कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव है। उनसे अपना ख़्याल रखना कह कर फोन काटा। फिर अपने पहले मित्र को फोन लगाया और खबर की सत्यता पर बात की, तो थोड़ा अफ़सोस जता कर एक दूसरे से सतर्क रहने व अपने को सुरक्षित रखने की बात कही, क्यूँकि दोनो के घर पर ही बूढ़ी माँ है जो अक्सर किसी न किसी तकलीफ़ के चलते अस्वस्थ अधिक रहती हैं। इस पर बात कर ही रहे थे कि सामने से आवाज़ आई कि भाईसाहब आप भी उनके सम्पर्क में रहते ही हैं एक बार एहतियात के तौर पर टेस्ट करा लेना। मैं थोड़ा चौका फिर ठीक है कहकर मैंने फोन काटा।  
पर मेरे दिमाग में अब भी वही शब्द घूम रहे थे। फिर मैंने खुद को समझाते हुए गहरी साँस ली और बात को टालते हुए आगे बढ़ा अपने अन्य कामों पर लग गया। 
मैंने हर रोज की तरह नाश्ता किया, तैयार हुआ और घर से निकल पड़ा। बाज़ार पहुँचा तो मेरे मन में ख्याल आया कि आज सबसे पहले जांच ही क्यों न कराई जाए। तो मैं बिना किसी साथी से मिले या यूँ कहे किसी से नज़दीकी सम्पर्क में आए बगैर जिला अस्पताल पहुँचा, जहां पर बहुत भीड़ थी। थोड़ा इंतज़ार करने के लिए मैं बाहर की किनारे पर खड़ा हो गया, तब तक मेरे एक और पत्रकार मित्र नरेन्द्र मुझे वहाँ पर मिलें। हैलो हाई हुई, अस्पताल आने का प्रयोजन पूछा ...
तो मैंने बताया खुद कि कोरोना जांच करनी है। फिर मैंने काउण्टर पर जाकर अपने नाम से पर्चा कटाया। उसे लेकर आगे बढ़ा, तब नरेन्द्र भाई भी मेरे साथ हो लिए तो हम दोनो बातें करते हिये आगे टेस्ट खिड़की पर जा पहुँचे। वहाँ पहुँचते ही एक बार नरेन्द्र भाई ने बोला परिहार जी मत कराओ यार टेस्ट आपको कोई दिक्कत नही है। अगर गलती से पॉजिटिव आ गई रिपोर्ट तो बीस इक्कीस दिन कैद में रहना पड़ेगा, मैंने कोई बात नही देखी जायेगी कहकर कदम आगे बढ़ाया और जाँच को पर्चा आगे दिया। तब नरेन्द्र भाई ने कहा आप कराओ फिर मैं चलता हूँ, फिर वो चला गया ....
मैंने अपना नाम पता मोबाईल नम्बर सब नोट कराया, फिर उसके मेरा ट्रूनेट सैम्पल लिया। मैंने पूछा जांच रिपोर्ट कब मिलेगी। इस पर उसने बताया कि आजकल लोड ज़्यादा है तो कल दिन तक आपकी रिपोर्ट आ पाएगी। फिर जिज्ञासावस मैंने पूछा कि मुझे कैसे पता लगेगा की रिपोर्ट क्या आई है, इस पर पहले से परिचित होने के चलते उनमें से एक भाई ने मुस्कुराते हुए कहा कि पॉजिटिव आओगे तो खुद स्वास्थ्य विभाग से फोन आ जायेगा नही आया तो आप समझ जाना की रिपोर्ट पॉजिटिव नही है। फिर में वापस बाहर आ गया, फिर मैंने उचित दूरी के साथ ही एक दो लोगों से बात की फिर अपने कुछएक काम निपटाने को चला गया। तब तक दोपहर के 12:30 का समय हो गया था। अपने एक दो साथियों  साथ बात करके फिर हमने टेस्ट को लेकर बात की। जिस पर मुझे वहाँ मौजूद लोगों की बात सुनकर महसूस हुआ कि उनमें इस बात की लेकर डर है, फिर मैंने सबसे कहा कि आपको घबराने की जरुरत नही है मैं उचित दूरी का पालन करते हुए आपसे बात कर रहा हूँ, इस पर भी उनकी मनोस्थिति का अंदाज़ा आसानी से लगाया जा सकता था कि वो मुझसे असहज थे। फिर मैंने घर वापसी का निर्णय लिया और अपने घर पहुँच गया। घर पहुँचकर मैंने सबसे पहले डिटोल के पानी से स्नान किया और खुद की अपने कमरे में आइसोलेट कर लिया। खाना भी कमरें के बाहर ही रखने को बोला तो माँ को चिन्ता हुई तो उसने पूछा क्या हुआ, तो बताया। 

उस पर माँ ने कुमाऊँनी में बोला .. जस को नी कून उस कूँ, लैं खांण खा! आब तदुके रै गो बकाई।
माँ अंदर को गई मैंने खाना लिया अपने कमरे में चला गया, फिर रात को भी यही खाना खा कर सो गया। 

फिर 1 सितम्बर दूसरे दिन उठा अपने कमरें में ही रहा, दिन भर वेब सीरिज़ देखता रहा। शाम तक कोई फोन नही आया तो मुझे लगा शायद सब कुछ सामान्य होगा तभी, मैं सोच ही रहा था कि चलो अब घूमने तो जाऊँगा, बहुत हुआ कमरे में कैद। 

तभी मोबाईल की घंटी बजी देखा तो एलआईयू विभाग से हमारे मित्र श्री मनोज पाण्डे जी का फोन था, जैसे ही फोन रिसीव किया तो उन्होंने पूछा आपने कोरोना जांच के लिए सैम्पल दिया था। 
मैंने हाँ कहकर जवाब दिया। 

तो बोले आप की रिपोर्ट पॉजिटिव हैं। 
आपको अभी स्वास्थ्य विभाग फोन करेगा। 
फिर उन्होंने पूछा आप कहीं बाहर गए थे? आपके सम्पर्क में कौन-कौन लोग थे पिछले तीन चार दिनो से वग़ैरह-वग़ैरह ? 
मैंने उन्हें उनके सवालों  जवाब दिया।

तब तक एलआईयू प्रभारी श्री अनिल नयाल जी का फोन आया, उन्होंने बताया कि लिस्ट आई थी नम्बर मिलाया तो आपका नाम दिखा तो सोचा बात की जाए, उन्होंने बताया कि आप लो रिस्क में है, कोई दिक्कत वाली बात नही है। आराम से 10 दिन वहाँ रहकर स्वास्थ्य लाभ लो, बांकी हम फ़ोन पर बात करते रहेंगे।
मैंने कहा ओके ठीक है और फोन काट दिया।  
फिर मैंने माँजी को बताया कि मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई है मुझे 10-15 दिनो के लिए वहीं किसी जगह पर रहना होगा।
माँ थोड़ा परेशान हो गई, उसकी परेशानी आँखो में नजर आने लगी। माँ को समझाया मुझे कोई परेशानी नही है, कुछ नही होगा, बस कुछ दिन अलग रहना है।  
फिर मुझे लगातार एक के बाद एक फोन आने लगे 
कभी जिला स्वास्थ्य विभाग, कभी सीएमओ कार्यालय, कभी ट्रामा सेण्टर, कभी पुलिस कंट्रोल रूम, एम्बुलेंस चालक का ....

सभी को जवाब देते-देते परेशान हो उठा, लगा क्या कोई अपराध कर दिया मैंने कोरोना जांच कराकर... फोन.... फोन... फोन.......


फिर एम्बुलेंस चालक का एक बार फोन आया कहाँ पर आना है, लोकेशन की जानकारी के बाद उसने कहा में 10 मिनट में यहाँ से निकालूँगा आप तैंयार रहे।  
तब तक मैंने एक छोटे बैग में दो टीशर्ट, एक निक्कर वग़ैरह ज़रूरी समान रख लिया। जिस पर जल्दी-जल्दी में कमरे से कुछ किताबें भी बैग में रख लिए। फिर मैंने फोन किया आप कहाँ पर पहुँचे हैं तो उसने कहा आप पक्की सड़क की तरफ आइये मैं निकल पड़ा हूँ। फिर एक बार माँ को मुस्कुरा कर समझाया कि मुझे कुछ नही हुआ है, बस ज़रा कुछ दिन अलग वही रहना पड़ेगा, कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है बस और कुछ नही। जैसे- तैसे माँ को ढ़ाढस बधाया और घर से चल दिया। 

जरा आगे जाने के बाद रास्ते में लोग पूछते रहे अभी बैग लेकर जो कहाँ को.....
मैंने कहा कोरोना पॉजिटिव हो गया हूँ जा रहा हूँ ...
कोई विश्वास करने को तैयार ही नही...
मैं आगे चलता रहा और यही जवाब सबको देता रहा।

तभी मेरे मित्र उत्तराखंड पुलिस के जवान श्री रवीन्द्र बोरा जी की फोन आया कि राजू भाई आप भी..... 
मैंने हाँ कहकर जवाब दिया।
फिर थोड़ी बहुत बातें हुई ...
उन्होंने कहा कि आप एक बेडसीट, एक ओढ़ने वाला और एक जोड़ी चप्पल जरुर ले कर जाना।
मैंने कहा अब तो मैं घर से निकल आया हूँ देखते हैं वहाँ पहुँचकर क्या तालमेल बनता है। उन्होंने बताया कि आपकी गाड़ी भी आ गई है।
मैंने ओके फिर बात करते हैं कहकर फोन काटा।  

कुछ देर बाद कोरोना की सवारी आई ...
मैं बैठा...
सीधे कोविड अस्पताल(ट्रामा सेण्टर) में आकर एम्बुलेंस रुकी। 
मैं बाहर उतरा फिर रामा सेण्टर के अन्दर गया और अपना पूरा व्यौरा दर्ज कराया। वहाँ पर मेरे से पहले दो भाई और बैठे हुए थे जिनकी भी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पायी गई थी। फिर हमें वहाँ कुछ देर बैठकर, दवाइयाँ देकर वापस एम्बुलेंस में बैठने को कहा गया। 


अब हम तीन लोग एक साथ गाड़ी में बैठे और होटल नरेंद्रा पैलेस पहुँचे। जहाँ उन दोनो को एक कमरें में भेजा गया। मुझे एक अलग कमरें में भेजा गया जहां पर पहले से ही एक व्यक्ति मौजूद होने की बात कही गई। जो अभी जरा देर पहले ही आए हैं।
मैं बिना कुछ सोचे चला गया, 
कमरे में पहुंचा, अपना बैग वहाँ रखी कुर्सी पर रखा। 
सामने मौजूद शख़्स से हैलो हाई हुई .....
और पंखे की हवा में बैठ गया
फिर एक दूसरे के बारे में बातें हुई, कुछ अपनी बात कही कुछ उनकी बात सुनी...
तब तक कमरें का दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ हुई तो देखा काड़ा लिए एक व्यक्ति खड़ा था।
हम दोनो ने काड़ा लिया और वापस अपनी बातों पर लग गये।
जान पहचान की बातें हुई, अब हम दोनो को यहाँ अगले दस दिन साथ बिताने हैं, यानी कि आप हमें कोविड रूम मेड कहकर भी सम्बोधित कर सकते हैं।  
इतने में दरवाज़े पर फिर से दस्तक हुई,
देखा तो सामने मेरे पत्रकार मित्र श्री दीपक पाठक जी खड़े थे, 
उन्होंने हमारा यहाँ आने पर स्वागत किया, मैंने भी धन्यवाद कहकर मुस्कुरा दिया.... फिर वो अपने कमरे में चल दिए जो हमारे ठीक सामने था ।
तब तक रात के 8 बज चुके थे...
खाना आया ..
डिस्पोज़ल प्लेट में खाना खाया...
खाना खाकर एक बड़ी सी थैली कमरें में दी गई कि आप जो भी खायेंगे उसका कूड़ा सब इसमें जमा रखना है। मैंने हाँ में अपना सिर हिलाया.....
खाना खाकर बैठे थे 9 बजे डाक्टर की विज़िट हुई तो दरवाज़े पर फिर से आहट हुई, खट.... खट ...
दरवाज़ा खोला तो सामने पीपीई किट पहने डाक्टर साहब खड़े थे, उन्होंने हमारे शरीर का ताप व आक्सीजन लेवल नापा..
ठीक है, ठीक है, सब ठीक है आगे बढ़ते हुए बोले 
कमरे में मास्क नही लगाना है, जब कोई आता है तभी मास्क लगाना है।
उसके बाद हमने कमरे का दरवाज़ा बंद किया और बिस्तर पर लेट गए।  

तभी मैंने फ़ेसबुक में अपने कोरोना संक्रमित होने की सूचना सांझा की। कुछ फोन भी लिए, काफ़ी साथियों के लगातार फोन आ रहे थे। मन में चिंताए थी कुछ का फोन रिसीव किया कुछ का नही कर पाया। फोन की बैटरी ने भी तब तक साथ छोड़ दिया था। 


जरा देर बाद लाईट बंद कर हम दोनो ने एक दूसरे को शुभ रात्रि कहा और सोने का प्रयास करने लगे।  

कोरोना पॉजिटिव मिलने से मेरी क्या किसी की भी चिंता स्वभाविक थी। कई तरह के नकारात्मक विचार मन में आ रहे थे इसी उधेड़बुन में कब आँख लग गई पता ही नही चला। 

क्रमशः—— ❣️

1 comment:

  1. स्वास्थ्य विभाग से फोन आएगा तो समझ जाना😆😆😆😆😆😆😆😆

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