- सर्वाधिक रोजगार देने वाले पर्यटन सेक्टर पर ही पड़ी सबसे अधिक मार
पर्यटन को सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि इससे बहुत अच्छा ज्ञान मिलता है। हम पहाड़ों के विषय में अक्सर पढ़ते आए हैं कि वे इतने ऊंचे होते हैं, वहां जंगल होता है और भयानक जीव रहते हैं लेकिन जब पहाड़ पर जाते हैं, उन्हें नजदीक से देखते हैं तो एक तरफ हजारों फिट गहरी खाईं और दूसरी तरफ सैकड़ों फिट ऊंचे पेड़ जिनके ऊपरी हिस्से को हम राह चलते छू सकते हैं। ऐसा ज्ञान किताबों से नहीं मिलता। विश्व पर्यटन संगठन के अनुसार पर्यटक वे हैं जो यात्रा करके अपने सामान्य वातावरण से बाहर के स्थानों में रहने जाते हैं। यह दौरा ज्यादा से ज्यादा एक साल के लिए मनोरंजन, व्यापार, धार्मिक आस्था व अन्य उद्देश्य से भी किया जाता है। पर्यटन दुनिया भर में एक आराम पूर्ण गतिविधि के रूप में लोकप्रिय हो गया है। भारत में ताजमहल, लखनऊ का इमामबाड़ा, मध्य प्रदेश में खजुराहो के मंदिर, मिस्र के पिरामिड, चीन की दीवार, उत्तराखंड में चारधाम, फूलों की घाटी, नैनीताल, पिंडारी ग्लेशियर, मिनी स्विज़रलैंड कौसानी आदि को देखने के लिए दुनिया भर के पर्यटक आते हैं।
इन दिनों पर्यटक झिझके हुए हैं क्योंकि चीन से फैला कोरोना वायरस लोगों को घर से बाहर नहीं निकलने दे रहा है।
कोरोना वायरस के कहर का पर्यटन क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ा है। ऐसे में कई ट्रैवल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की वेतन वृद्घि टाल दी है और नई भर्तियों पर रोक लगा दी है। अर्थव्यवस्था में नरमी और कोरोनावायरस की वजह से मांग कम होने से कारोबार पर असर पड़ा है। लोगों का घरों से निकलना पूरी तरह से बंद हो चुका है। सैर सपाटे का शौक़ रखने वाले सभी प्रकृति प्रेमी घरों में क़ैद हैं जिसका सीधा असर होटल व्यवसाय पर नजर आ रहा है। जहाँ सीधे तौर पर पहाड़ में पहाड़ सी ज़िम्मेदारी के ऊपर होटल व्यवसाइयों पर क़र्ज़ का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। जो वर्तमान समय में किसी से छुपा नही है। उत्तराखंड में पहाड़ के युवाओं के लिये मुख्य रोज़गार के रूप में पर्यटन ही है। जिस पर कोरोना के कहर के चलते जहाँ आज हज़ारों परिवारों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट पैदा हो गया है और प्रदेश व देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। पर्यटन कारोबारियों का मानना है कि लॉकडाउन से सबसे अधिक असर उन्हीं पर पड़ा है। राहत भी सबसे बाद में ही मिलेगी। इस हालात में सभी ने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों को वेतन देने से लेकर टैक्स, बिजली बिलों के भुगतान को बताया। साफ किया कि यदि सरकार ने समय रहते सहायता नहीं दी, तो युवाओं को रोजगार देने वाला सबसे बड़ा ये सेक्टर डूब जाएगा।
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आने वाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
कोरोना वायरस के कहर का पर्यटन क्षेत्र पर व्यापक असर पड़ा है। ऐसे में कई ट्रैवल कंपनियों ने अपने कर्मचारियों की वेतन वृद्घि टाल दी है और नई भर्तियों पर रोक लगा दी है। अर्थव्यवस्था में नरमी और कोरोनावायरस की वजह से मांग कम होने से कारोबार पर असर पड़ा है। लोगों का घरों से निकलना पूरी तरह से बंद हो चुका है। सैर सपाटे का शौक़ रखने वाले सभी प्रकृति प्रेमी घरों में क़ैद हैं जिसका सीधा असर होटल व्यवसाय पर नजर आ रहा है। जहाँ सीधे तौर पर पहाड़ में पहाड़ सी ज़िम्मेदारी के ऊपर होटल व्यवसाइयों पर क़र्ज़ का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। जो वर्तमान समय में किसी से छुपा नही है। उत्तराखंड में पहाड़ के युवाओं के लिये मुख्य रोज़गार के रूप में पर्यटन ही है। जिस पर कोरोना के कहर के चलते जहाँ आज हज़ारों परिवारों के सामने रोज़ी-रोटी का संकट पैदा हो गया है और प्रदेश व देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से प्रभावित हो रही है। पर्यटन कारोबारियों का मानना है कि लॉकडाउन से सबसे अधिक असर उन्हीं पर पड़ा है। राहत भी सबसे बाद में ही मिलेगी। इस हालात में सभी ने सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों को वेतन देने से लेकर टैक्स, बिजली बिलों के भुगतान को बताया। साफ किया कि यदि सरकार ने समय रहते सहायता नहीं दी, तो युवाओं को रोजगार देने वाला सबसे बड़ा ये सेक्टर डूब जाएगा।
संसार में सब से अधिक दुःखी प्राणी कौन है ? बेचारी मछलियां क्योंकि दुःख के कारण उनकी आंखों में आने वाले आंसू पानी में घुल जाते हैं, किसी को दिखते नहीं। अतः वे सारी सहानुभूति और स्नेह से वंचित रह जाती हैं। सहानुभूति के अभाव में तो कण मात्र दुःख भी पर्वत हो जाता है।
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