Sunday, 31 May 2020

साबुन लाल हो या नीला उसका झाग हमेशा सफेद क्यों होता है?
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बहुत दिनों से मन में एक ख्याल रह-रह के परेशान कर रहा था आंखिर साबुन लाल हो या नीला उसका झाग हमेशा सफेद क्यों होता है? स्कूल टाईम पर कहीं पढ़ा तो था, पर ठीक से याद नही आ रहा था। चलो आज इस पर विस्तार पूर्वक वार्ता करते हैं कभी आपको भी ऐसे ही अटपटे से ख्याल आये तो ज़रूर साँझा कीजिएगा। उस पर भी चर्चा कर प्रकाश डालने की पूरी कोशिश करूँगा। चलिए अब सीधे मुद्दे पर आते हैं -
टीवी पर आने वाले साबुन के विज्ञापनों पर अगर आप ध्यान दें तो आपको पता चलेगा कि उन सब में दावे भले ही अलग-अलग रहते हों लेकिन एक चीज, एक जैसी ही रहती है. यह चीज है साबुन का झाग। साबुन की गुणवत्ता बताने के साथ टीवी विज्ञापनों को रूमानियत देने या खूबसूरत बनाने के लिए झाग उड़ाने के दृश्य जरूर दिखाए जाते हैं। इन विज्ञापनों से अलग भी हम सब अपने बचपन में मौज-मजे के लिए साबुन का झाग और गुब्बारे बनाकर खेल चुके हैं। हर साबुन-शैंपू-डिटर्जेंट के साथ यह बात भी देखी जा सकती है कि वे चाहे किसी रंग के हों, उनका झाग हमेशा सफेद ही होता है।
बचपन में ही विज्ञान की पढ़ाई के दौरान यह नियम सिखाया-समझाया जाता है कि किसी वस्तु का अपना कोई रंग नहीं होता। उस पर जब प्रकाश की किरणें पड़ती हैं तो वह बाकी रंगों को सोखकर जिस रंग को परावर्तित करती है, वही उसका रंग होता है। यही नियम कहता है कि जब कोई वस्तु सभी रंगों को सोख लेती है तो वह काली और सभी रंगों को परावर्तित करती है तो सफेद दिखती हैं।

साबुन का झाग सफेद दिखाई देने के पीछे भी यही कारण है। झाग कोई ठोस पदार्थ नहीं है। इसकी सबसे छोटी इकाई पानी, हवा और साबुन से मिलकर बनी एक पतली फिल्म होती है। यह पतली फिल्म जब गोल आकार ले लेती है, हम इसे बुलबुला कहते हैं। दरअसल साबुन का झाग बहुत सारे छोटे बुलबुलों का समूह होता है।
साबुन के एक बुलबुले में घुसते ही प्रकाश किरणें अलग-अलग दिशा में परावर्तित होने लगती हैं। यानी उसके अंदर प्रकाश किरणें किसी एक दिशा में जाने के बजाय अलग-अलग दिशा में बिखर जाती हैं। यही कारण है कि साबुन का एक बड़ा बुलबुला हमें पारदर्शी सतरंगी फिल्म जैसा दिखाई देता है। अगर ऐसे किसी बुलबुले में से प्रकाश किरणें एक ही दिशा में लौटतीं तो यह कागज की तरह सफेद दिखाई देता।
झाग बनाने वाले छोटे-छोटे बुलबुले भी इसी तरह की सतरंगी पारदर्शी फिल्मों से बने होते हैं। लेकिन ये इतने बारीक होते हैं कि अव्वल तो इनमें हम सातों रंगों को नहीं देख पाते, वहीं दूसरी ओर इनमें प्रकाश इतनी तेजी से घूमता है कि ये एक ही समय पर तकरीबन सभी रंगों को परावर्तित करते रहते हैं। इसलिए यहां पर रंगों से जुड़ा विज्ञान का वही नियम लागू होता है जिसके मुताबिक कोई वस्तु अगर सभी रंगों को परावर्तित कर दे तो उसका रंग सफेद दिखाई देगा। इस तरह साबुन का झाग हमें सफेद दिखाई देता है।

अब इस सवाल के एक दूसरे महत्वपूर्ण हिस्से की तरफ आते हैं कि साबुन का रंग झाग में क्यों नहीं दिखता? दरअसल साबुन जब पानी में घुलता है तो उसका रंग तो छूटता ही है। अगर आप कांच के किसी पारदर्शी बर्तन में पानी रखकर साबुन उसमें घोल दें तो आप पाएंगे कि उस घोल का रंग साबुन के रंग जैसा ही होता है, लेकिन मूल रंग के मुकाबले काफी हल्का हो जाता है। वहीं जब इस पानी से बुलबुला बनता है तो इसको बनाने वाली फिल्म में यह रंग इतना हल्का हो चुका होता है कि वह हमें दिखाई नहीं देता। यानी कि अब ये बुलबुले उस रंग के प्रकाश को परावर्तित नहीं करते और यही वजह है कि साबुन लाल हो या नीला उसका झाग हमें सफेद ही दिखाई देता है।

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