मेरे बागेश्वर में नगर पालिका की पहल पर ऑटो संचालित किये जाने के कारण मुझ जैसे बिना गाड़ी वाले लोगों को भी जब चाहें तब शहर के एक छोर से दूसरे छोर जाने का मौका मिल रहा है। सुबह की सबसे बड़ी समस्या कि बाज़ार तक कैसे जाया जाए? अक्सर घर से बाहर निकलते ही गाड़ी में बैठ जाने की आदत ने शायद शरीर के भीतर एक सुस्ती सी भर दी है।
आज ज्यों ही शाम को बाहर सड़क पर कदम रखा तो एक सुहाने से मौसम का एहसास तन मन को रोमांचित कर गया। निगाहें किसी ऑटो रिक्शा को खोज रही थी तभी सड़क के किनारे एक व्यक्ति जो रिक्शा पर लेटा हुआ था मुझे देखकर सचेत हो गया।
आज शाम को फिर कुछ खुरापात मन में सूझा, सोचा आज लम्बे समय के बाद किसी से हिंदी में बात की जाये।
ऑटो वाले भाई से पूछा,
"त्री चक्रीय चालक पूरे बागेश्वर शहर के परिभ्रमण में कितनी मुद्रायें व्यय होंगी ?"
ऑटो वाले ने कहा, "अबे हिंदी में बोल रे..
मैंने कहा, "श्रीमान, मै हिंदी में ही वार्तालाप कर रहा हूँ।
फिर ऑटो वाले ने कहा, "मोदी जी पागल करके ही मानेंगे । चलो बैठो, कहाँ चलोगे?"
मैंने कहा, "परिसदन चलो"
ऑटो वाला फिर चकराया !😇
"अब ये परिसदन क्या है?"
बगल वाले श्रीमान ने कहा, "अरे सर्किट हाउस जाएगा"
ऑटो वाले ने सर खुजाया और बोला, "बैठिये प्रभु"
रास्ते में मैंने पूछा, "इस नगर में कितने छवि गृह हैं ??"
ऑटो वाले ने कहा, "छवि गृह मतलब ??"
मैंने कहा, "चलचित्र मंदिर"
उसने कहा, "यहाँ बहुत मंदिर हैं ... राम मंदिर, हनुमान मंदिर, बागनाथ मंदिर, चण्डिका मंदिर, शिव मंदिर"
मैंने कहा, "भाई मैं तो चलचित्र मंदिर की
बात कर रहा हूँ जिसमें नायक तथा नायिका प्रेमालाप करते हैं."
ऑटो वाला फिर चकराया, "ये चलचित्र मंदिर क्या होता है ??"
यही सोचते सोचते उसने सामने वाली गाडी में टक्कर मार दी। ऑटो का अगला चक्का टेढ़ा हो गया और हवा निकल गई।
मैंने कहा, "त्री चक्रीय चालक तुम्हारा अग्र चक्र तो वक्र हो गया"
ऑटो वाले ने मुझे घूर कर देखा और कहा, "उतर साले ! जल्दी उतर !"
आगे पंक्चरवाले की दुकान थी। फिर मैंने सोचा दुकान वाले भाई से कुछ मदद लेकर इसकी सहायता की जाए तो दुकान वाले से कहा....
"हे त्रिचक्र वाहिनी सुधारक महोदय, कृपया अपने वायु ठूंसक यंत्र से मेरे त्रिचक्र वाहिनी के द्वितीय चक्र में वायु ठूंस दीजिये। धन्यवाद।"
दूकानदार बोला कमीने सुबह से बोहनी नहीं हुई और तू श्लोक सुना रहा है...
आज फिर एक बार और पता चला विद्यालय में हमें हिंदी के नाम पर उर्दू फारसी के शब्द पढ़ाएं गए हैं...✍️
मुझे लगता है आसपास के जरूरतमंद लोगों की मदद करना ईश्वर को प्रसन्न कर सकता है और यह एक बहुत बड़ी चैरिटी है जो हम रोज अपने क्रियाकलापों के माध्यम से कर सकते हैं। आजकल आस-पास तो मानो खो गया हो जुकरू भाई का भ्रमजाल ही आस-पास बन बैठा है, मानो यहां हर कोई खो सा गया है। वैसे मुझे लगता है, हर व्यक्ति अपने आप में एक बहुत बड़ी संस्था है जो किसी का जीवन छोटी-छोटी खुशियों से बदल सकता है। इसलिए हमेशा मुस्कुराते रहें, खुश रहें और स्वस्थ रहें।
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