Thursday, 4 August 2022

छज्जों पे पनपता प्यार..



कभी आपने गौर किया, आपके आस-पास क्या गजब की कहानियाँ चल रही होती हैं और आप न जाने कहां खोए रहते हैं। कभी कोशिश कीजिएगा समझने की, कड़ियों को आपस में जोड़कर जानने की, तो मानो ऐसा लगेगा की जैसे कोई फिल्म चल रही हो आपके आस-पास।

अगर आप कभी शहरों की ज़िन्दगी से रूबरू हुए हैं तो अक्सर आपने सुना या देखा होगा लड़के अपने छत पे खड़ी पड़ोसन से "सुनिए! लाइट है?" कहके बात की शुरुवात करते हैं। 



अगर लड़की का जवाब "हाँ/नहीं" कुछ भी आया हो तो इसका मतलब लड़की इंट्रेस्टेड है और अगर कुछ न बोल के इग्नोर कर दे तो इसका मतलब "अभी और मेहनत की जरूरत  है!!"

वैसे शहर के मुहबोले अंकल और आंटी किसी काम आएं न आये बिजली के बहाने ही सही दो पड़ोसियों की बात शुरू करने के काम जरूर आते हैं। अक्सर मोहल्ले की आंटियां अपने परपंच की शुरुआत "भाभीजी लाइट बहुत कट रही है आजकल" से शुरू करके  "ससुराल समर का क्लाईमेक्स या शर्मा जी के लौंडे के रिजल्ट" को लेकर ख़त्म होती है!

खैर इस छज्जे वाले प्यार की खासियत ये है के इस बिजली के आने जाने के शेड्यूल से शुरू होकर एक दूसरे के टाइम टेबल की पूर्ण जानकारी के बाद ख़त्म होता है। लड़का अक्सर छत पे अपना अधूरा चार्ज एंड्राइड फोन पे "तेरा होने लगा हूँ खोने लगा हूँ.." गाना लड़की के आने पे लगा देता है लड़के के पास "सैमसंग गुरु" नामक एक अन्य वैकल्पिक फोन जरूर होता है जिसकी बैटरिया इन बाप-बेटे से भी बेसरम होती है.. और हाथ में पतली सी "अवध सीरीज" लेकर 'बहुत गर्मी है!!" बोलकर छत पे पढ़ने का दिखावा भी करता है।। लड़की भी कहां पीछे होती है और अपनी छत पर फैले कपडे के पीछे से छुप छुप के लड़के की सूक्ष्म जाँच किया करती है।

लड़का अपना भौकाल मोहल्ले के अपने से कम उम्र के बच्चों पे धौंस जमा के टाइट करता रहता है। जाँच पड़ताल पूरी करने के बाद और लड़के की कड़क धूप में छत पे की गयी मेहनत को देखकर लड़की मान ही जाती है। 



छत पे पनपा प्यार अक्सर मिश्राजी द्वारा लड़की की शादी किसी इंजिनियर/डॉक्टर से तय होने पे ख़त्म होता है। कुछ लौंडे फर्जी हाथ पैर मारते है। ये और कुछ नहीं बस उनका दारू पीने का बहाना मात्र यहीं से शुरू होता है। आज हम देख रहे हैं अपने शहर का भी कुछ हाल यही होता जा रहा है नशे के क्षेत्र में, पर कमबख़्त प्यार, मोहब्बत के क़िस्से यहां नजर ही नही आते। 

जीवन में आगे बढ़ने में ज़्यादातर लोगों के लिए सबसे बड़ा अवरोध अक्सर अपने बारे में लोगों की राय या अपने उपहास या हँसी उड़ने का डर होता है। 

मैं आपसे पूछता हूँ। क्या दूसरे लोगों की वाकई इस बात में दिलचस्पी है कि आप क्या करते हैं और उनके पास क्या सचमुच इतना समय है कि वे आपके बारे में कोई ठोस राय बनाएँ?

अगर आपको लगता है कि कोई चीज करने लायक है तो आप बिना यह सोचे कि दूसरे उसके बारे में क्या सोचेंगे, उसे बस कर डालिए और अगर कोई आप पर हँसता है तो आप भी उनके साथ हँस सकते हैं। संभव है कि वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आपकी किसी ऐसी चीज में मदद कर दें, जिसे आप गलत कर रहे हों! या उसमें थोड़ी सुधार की आवश्यकता हो! वैसे ज्यादातर लोग आपके बारे में नहीं सोच रहे होते। वे लोग अपनी ही चीजों में व्यस्त होते हैं, इस पर भरोसा रखिए।

समझने की बात ये है कि आपको अपने जीवन को ‘हाँ’ कहने की ज़रूरत है, एक ‘हाँ’ से आप कुछ नहीं खोएँगे, लेकिन, एक ‘ना’ से आप जरूर खोएँगे। ‘ना’ एक बंद दरवाजा है, किसी भी वजह से दरवाजे को बंद नहीं रखना है, हम सबको पता है कि यह बेहद छोटा जीवन है, इसमें बार-बार दरवाजे को बंद करने, फिर खोलने का भी वक्त नहीं है।

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