Friday, 4 March 2022

सुनो...



कई बार वो पुकारती है मुझे
"सुनो..."
और मेरे प्रत्युत्तर "हाँ.." के बाद
चुप हो जाता है

उसे कुछ पूछना नहीं होता
दरअसल वो
तसल्ली करती है कि-
मैं उसके आस-पास हूँ। 




सुनो, तुम एक सादा कागज़ और एक पेंसिल लेकर कुछ लकीरें सी खींच देना, शक्ल जो भी बने, जैसी भी बने, हैरान मत होना, बस वही तस्वीर हूँ मैं..

बेशक एक साथ बैठकर हमने चाय की चुस्कियां सांझा न कि हो, पर तुम मुझे अपना दोस्त ही समझना और उस तस्वीर में अपने इसी दोस्त को देखना। 

बेशक बचपन में हम एक साथ न खेले हो, न ही एक दूसरे से छोटी छोटी बातों पर लड़े हो, न ही एक दूसरे की चुगलियां की हो, पर तुम मुझे अपना भाई ही समझना और उस तस्वीर में अपने इसी भाई को देखना। 

बेशक तुमने मुझे अपने हाथों से खाना न खिलाया हो, न डांटा हो, न पुचकारा हो, पर तुम मुझे अपना बेटा ही समझना और उस तस्वीर में अपने इसी बेटे को देखना। 

जब कभी लगे की अंधेरा बहुत गहरा है, कुछ भी नज़र नही आ रहा, तो याद रखना कि इस दुनिया में कहीँ कोई है जो बेशक अनजाना है, तुमसे दूर है, पर हर पल तुम्हारे लिए दुआ मांग रहा है, जिसकी खुशियां तुम्हारी खुशियों में है। 

जब कभी लगे अब बस बहुत हुआ और बर्दाश्त नही होता तो याद रखना किसी ने हर पल यह ख़्वाब देखा है कि तुम अपनी हिम्मत न हारो, इसके लिए उसने बरसों हर अहसास को सोचा है, बरसों अपने अहसास लिखे भी है, केवल इस उम्मीद पर कि तुम कभी उम्मीद न हारो। 

जब कभी टूटने लगो, कभी बिखरने लगो तो एक बार अपने इस अनजाने दोस्त, इस अनजाने भाई, इस अनजाने बेटे को जरूर याद करना और सोचना की अगर मैं वहां तुम्हारे पास होता तो कैसा महसूस करता। सोचना की अगर तुम हार गए तो मैं और लिखने की हिम्मत कहाँ से लाऊंगा। 

हमेशा याद रखना कि कोई और भी है जो वही महसूस करता है जो तुम करते हो, कोई और भी है जो इस कशमकश से गुजरा है जैसे तुम गुज़र रहे हो, कोई औऱ भी है जिसका हौसला तुम हो और जो तुम्हारा हौसला है, बस इतनी सी इल्तिज़ा है कि किसी भी बुराई को अपनी अच्छाई पर हावी मत होने देना, रोशनी का जो दीया तुम्हारे अंदर जल रहा है उसे हमेशा जलाए रखना और अंधेरों को मिटाते रहना।

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