धुँध की एक महक होती है ये महक मुझे उस जहान में पहुंचा देती है जहां मैं इतना संतुष्ट होता हूं कि मेरी कोई इच्छा ही नहीं रह जाती। ठंड का मौसम मुझे बेहद पसंद है। इतना कि अगर सौदा करना हो तो मैं गर्मियों के तीन दिन दे कर सर्दी का एक दिन अपने पास रख लूं।
कोहरे से घिरे आसमान में दूर कहीं लाल रौशनी चमक रही होती है। वो रौशनी मेरी उम्मीदों का सूरज है। वो सूरज जो सबके लिए नहीं सिर्फ मेरे लिए चमकता है। ओस की बूंदें जब मेरे जिस्म पर पड़ती हैं तो लगता है जैसे मेरी आत्मा तक आनंद में भीग रही हो। मैं ठिठुरता हूं, सर्दी से मेरा बुरा हाल होता है, टोपी पहनना मुझे सजा लगती है लेकिन फिर भी मैं इस ठंड से मोहब्बत करता हूं। मोहब्बत ऐसी ही तो होती है। लाख खामियों के बाद भी जिसे पाने की ज़िद हो उसी से तो सच्ची मोहब्बत है।
कभी कभी सोचता हूं कि कितना खुदगर्ज़ हूं मैं अपनी खुशी के लिए उन लोगों की परवाह नहीं करता जो हर साल सर्दी की वजह से मर जाते हैं लेकिन फिर मैं सोचता हूं आज के दौर में मरने के लिए सर्दी का इंतज़ार करता ही कौन है ? गर्मी मार रही है, भूख मार रही है, महामारी मार रही है, चिंताएं मार रही हैं, इंसान हर तरफ से तो मर ही रहा है फिर अगर मैंने जीने के लिए सर्दियों का सहारा ले लिया तो क्या ही बुरा किया।
इन्हीं सर्दियों की किसी खूबसूरत शाम में मैं किसी खूबसूरत के साथ निकलना चाहता हूं सैर पर। हालांकि उसे सर्दियाँ बर्दाश्त नहीं होतीं हो मगर फिर भी मैं जाना चाहता हूं। मुझे यकीन है ये सर्दियाँ मेरी मोहब्बत की लाज रखेंगी। इसकी खूबसूरती इतनी ज़्यादा होगी कि वो कुछ देर के लिए भूल ही जाएगी कि उसे सर्दियाँ बर्दाश्त नहीं होतीं। मुझे भी तो हरी चाय (ग्रीनटी) बर्दाश्त नहीं होती लेकिन जब उसके साथ होता हूं तो सब बर्दाश्त हो जाता है ।
इस मोहब्बत के बदले सर्दियाँ मुझे बस यही तोहफा दे दें कि हर साल इन सर्दियों में कम से कम एक शाम उसके साथ बिता सकूं। वो मेरे लिए सर्दियों को बर्दाश्त कर ले और मैं उसके लिए बिना घबराए एक कप हरी चाय पी सकूं।
ज़्यादा मांगने पर ना मिलने की वजह दिखा देती है किस्मत लेकिन मैंने बहुत कम मांग है इसके लिए कोई बहाना नहीं चलेगा। उसे साथ सर्दियों की एक शाम और हरी चाय, इतना ही तो।
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