Sunday, 30 April 2023

हवा रुक सी गई



"मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई, ज़ुबा सब समझते हैं जज्बात की!"
वैसे गौर करें तो हर कहानी में ग़लती है। मनुष्य ग़लतियों के सोपान पर चढ़कर ही तो ज़िंदगी का महाकाव्य लिखता है। लेकिन, दूसरों की कहानी की त्रुटियों को लाल रंग से रेखांकित करने में व्यस्त हम, अपनी कहानी के इन्द्रधनुष को देखना भूल जाते हैं। जीना भूल जाते हैं। मनुष्य अपना समय और परिश्रम मात्र दूसरों की ख़ुशी से दुःखी होने में लगा देता है और ख़ुशी उसकी चौखट से मायूस लौट जाती है। 

ऐसा होता है, नहीं? 



जीवन में बहुत से काम मैं सिर्फ़ अपने कर्मों का हिसाब-किताब ठीक रखने के लिए करता हूँ। बचपन में मेरे कुछ दोस्त अक्सर कहा करते थे कि जब आपकी आँखें दुनिया की बदसूरती और खूबसूरती गहराई से देख लेती हैं तब बोलने लगती हैं। मैंने अपने छोटे से जीवन में इतना कुछ देख लिया है कि उस ‘देखने’ की वजह से काव्यात्मक न्याय पर मेरा विश्वास बहुत गहरा हो गया है। इसलिए अब मुझे छोटा और कमीना दिल रखना सबसे ज़्यादा ख़तरनाक लगता है।

मेरा किसी ने कितना दिल दुखाया, यह अब मेरे लिए उतना प्राथमिक प्रश्न नहीं है जितना यह कि मैंने तो गलती से किसी को चोट नहीं पहुँचाई? मैं अपनी चेतना में आई इस नई जागरूकता और सतर्कता की वजह से कई बार बहुत हैरान होता हूँ। उदारता कितना मुश्किल गुण है और कितना ज़रूरी, यह आपको तभी मालूम चलता है जब आपको खुद अपने लिए किसी और की आँखों में इसकी दरकार होती है। संवेदना एकदम वर्कआउट से मिलने वाली ऊर्जा की तरह है। जितना अभ्यास करेंगे उतनी ज़्यादा मिलती जाएगी। 

कमबख्त बड़ा मीठा नशा है यादों का भी,
वक़्त गुजरता गया और हम आदी होते गए। 
रुक सी जाती है सासें तेरे सौन्दर्य के दीदार से,
तबाही मचा देती है मेरे मन में तेरी अदाएं भी प्यार से।

Tuesday, 25 April 2023

अननोन नंबर से फोन कॉल



आज किसी तरह का कोई काम न होने के कारण दोपहर भोजन के बाद यूं ही बेले बैठे हुए थे, अचानक एक अननोन नंबर से फोन आया, पहले तो कट कर दिया फिर दूसरी बार में उठाया तो…………..

"प्लीज माफ कर दो, अब नही करुंगी शक आप पर, भले आपका नंबर बिजी रहेगा, आपको कॉल करके परेशान भी नही करुंगी, शॉपींग कराने की जिद भी नही करुंगी, रिचार्ज खुद करा लुंगी, प्लीज माफ कर दो"

पता नही किसकी गर्लफ्रेंड थी, पर सुन के बहुत तसल्ली हुई थी... 




एक घण्टे के बाद पुनः एक अननोन नंबर से फिर फोन आया, उठाया तो सवाल था..

"आप राजकुमार बोल रहे हैं?"
"जी बोल रहे हैं। आप कौन?
"हम फलाने (नाम सही से याद नहीं) बोल रहे हैं दिल्ली से। फेसबुक पे बहुत पढ़े हैं आपको। बहुत अच्छा लिखते हैं आप!"

"बहुत-बहुत आभार। पर नंबर किसने दिया आपको मेरा?"
"आपकी किसी पोस्ट में किसी ने आपसे आपका नम्बर मांगा था। वहीं से लिया"

"अरे! (हमें हँसी आई और खुशी भी महसूस हुई) वही सोच रहा हूं यार मैं, किसी को जल्दी नम्बर तो देता नही और msg भी नहीं पढ़ पाता जल्दी msngr वाला" 

"वहीं से लिए सर"
"कोई बात नही। अच्छा किया। क्या करते हैं आप?"

"सर B.Sc कर रहे हैं। सेकेंड ईयर है।"
"बहुत बढ़िया यार। चलो पढ़ते रहो। हमको भी और अपना कोर्स भी। एसएससी की भी तैयारी करो। स्कोप अच्छा है।"
"हाँ सर देखेंगे।"
"चलो ठीक हैं फिर बाद में बात करते हैं।"

और फिर फोन रख दिया। अक्सर कुछ दोस्त भी पूछते हैं कैसे पा जाते हो इतनी मोहब्बत? जवाब आज तक नही मिला मुझे। खैर बाद में बात करना भूल गया। नम्बर भी पीछे छूट गया। भूलने की बीमारी पता नही मुझसे क्या क्या छुड़वायेगी...

आप, सर, भैया इतना सम्मान जब इस वर्चुअल दुनिया से मिलता है तो अच्छा लगता है। बाकी फोन नम्बर पाने के लिए तो हमने कई बार पापड़ बेलें है पर लड़की होशियार निकली। 2011 तक की पोस्ट और कमेंट छान मारा...

दोस्त अगर पढ़ रहे हो ये पोस्ट तो फिर से फोन करना। अच्छा लगा मुझे। पता चला कि लिख के पैसा न सही ये सम्मान तो कमा ही लिया है, बाकी हमे तो लगा कि हम सिर्फ गरलसखी की गालियां खाने को ही अवतरित हूये हैं! वैसे कई बार बस में भी लोग मिल चुके हैं, मेले में भी, बाज़ार में भी। और तो और यूपीएससी के एग्जाम वाले रूम में भी। बहुत अच्छा लगता है। अनजान लोग आपको सिर्फ फेसबुक से पहचान लेते हैं। मेरी तो किताब भी नही आई यार। पर दिल बाग-बाग हो जाता है....

बाकी आपका कभी बागेश्वर (उत्तराखंड) आना तो खबर कर देना। तुमको भट्ट के डुपके-भात खिलाएंगे, पहाड़ की सुन्दरता दिखलायेंगे और यहां बहने वाले झरनों का संगीत भी सुनाएँगे। दादी-नानी की कहानी किस्से व अल्हड़ बचपन से भी रूबरू कराएँगे। ढेरों प्रेम मित्र, इस जलन भरी दुनिया में तुम जैसे लोग बोरोलीन का काम करते हैं। हर मर्ज का इलाज। 

सोचा इस वर्चुअल दुनिया से मिलने वाले प्यार को इसी वर्चुअल दुनिया से सांझा करूँ।  

आभार! ढेरों धन्यवाद!!

Monday, 24 April 2023

मैं और मेरा महाभारत



दोस्तों मन के अंदर जैसे ही कोई इच्छा उठती है, तो उससे जुड़ी न जाने कितनी इच्छाएं उत्पन्न हो जाती हैं। इसे आप ऐसा वृक्ष मान सकते हैं, जिसकी सैकड़ों टहनियां, हजारों डंठल और लाखों पत्तियां हैं। ये असंख्य इच्छाएं पैदा तो होती हैं मन में, लेकिन दिखाई देती हैं कल्पना के पर्दे पर। इच्छा के अनुकूल ही विचार पैदा होते हैं। ये इच्छाएं मन में उत्पन्न होती हैं, इसलिए मन ही व्यक्ति का प्रतिरूप होना चाहिए। कह सकते हैं कि मन का ही साकार रूप है मनुष्य।
वैसे मुझे रामायण की जगह महाभारत पसंद है, इसके पीछे कारण हैं महाभारत के कुछ किरदार जो आज के समाज व मुझसे मेल खाते है ! जो निम्न है!



♦️मामा शकुनी —
इनकी तरह एकदम षडयंत्रकारी, संवाग रचने की अद्भूत कला में माहिर हूँ। अक्सर मैं फेसबुक पर कुछ ऐसा लिख देता हूँ जिससे दो लोग आपस में भिड़ बैठते हैं जबकि मुझसे कोई नहीं लड़ता। कुछेक जगह ऐसी टिप्पणी कर देता हूँ जिससे वहाँ का मनोरम दृश्य जमघट में बदल जाता हैं, लोग शायरी छोड़ तलवार बाजी की बाते करने लगते हैं !

♦️धृतराष्ट्र —
अक्सर मेरी पोस्ट पर लोग लडते है तो मैं चुपचाप उनके कमेंट पढता हूँ, या नहीं भी लड़ते तो बहुत सारी टिप्पणियाँ आ जाती हैं देखता हूँ तब भी कोई जवाब नहीं देता ना लाईक करता हूँ! बस उनकी तरह अंधा नहीं हूँ पर इस मामले में बन जाता हूँ ! 

♦️भीम —
भीम की तरह भोजन उठाना, भीम की तरह मेरा भी उपहास उडाया जाता हैं मित्रो द्वारा भोजन को लेकर। पर मेरा कोमल हृदय उन्हें हर बार माफ कर देता हैं। भले 70 हाथियो जितनी ताकत नहीं है किंतु दो तीन लौन्डो़ को कभी भी अकेले रगड़ दूंगा !

♦️कर्ण — 
काबिल और ओहदा प्राप्त लोग मेरा सम्मान इसलिए नहीं करते क्योकि मेरे पास सरकारी नौकरी नहीं हैं, जबकि उनको पता हैं उनसे ज्यादा टैलेंट है मेरे में बस मेरा प्रारब्ध मेरे साथ नहीं है ! 

♦️भीष्म —
वचन निभाने में माहिर ( कई लोग इस बात से सहमत होंगे जब पढेंगे तो ) दूसरा अपने प्रण पर टिके रहना जैसे 'जो बीत गया है वो अब दौर ना आएगा, इस दिल में सिवा तेरे कोई और ना आएगा ' !

वैसे बात में दम तो है कि जितनी गहरी आपकी इच्छा होगी, कल्पनाओं के रंग भी उतने ही स्पष्ट और चटख होंगे। कल्पनाओं के रंग जितने अधिक चटखदार होंगे, उस इच्छा को पूरा करने वाले हमारे विचार भी उतने ही अधिक ठोस और मजबूत होंगे। हमारी इच्छा की गहराई ही हमारे विचारों और संकल्पशक्ति की गहराई होती है। इच्छा ही विचार बनते हैं और विचार ही हमारे कर्म बनते हैं। जब हम इन कर्र्मो को लगातार करते चले जाते हैं, तो ये ही कर्म हमारी आदत बन जाते हैं, हमारा व्यवहार बन जाते हैं और हमारी ये आदतें और व्यवहार हमारा व्यक्तित्व बन जाते हैं।


दोस्त यहां रोता वही है जिसने सच्चे रिश्ते को महसूस किया हो, वर्ना मतलब का रिश्ता रखने वालों की आंखों में न शर्म होती है और न पानी। मैं वह नहीं हूँ जो दिखता हूँ, मैं वह हूँ जो लिखता हूँ।

Friday, 14 April 2023

Congratulations Bageshwar


बधाई हो!

कुमाऊं मंडल के सबसे अधिक राजस्व देने वाले बागेश्वर जिले में निवास करने वाले व्यक्ति की सबसे कम 98,755 रुपये प्रति व्यक्ति आय है। यदि हम बात करें यहां के विकास को सरकार द्वारा आवंटित (जिला योजना) बजट की तो उससे अधिक का राजस्व यहां आवंटित शराब की दुकानों से सरकार को प्राप्त होता है। बांकी अन्य संसाधनों से आप स्वयं ही अंदाज़ा लगा सकते हैं, कहां खड़े हैं? खैर जो भी हो आप इसे सरकार के साथ उत्सव के रूप में मनाने को तैयार रहें। क्यूँकि आँकड़े बतलाते हैं कि प्रति व्यक्ति आय दुगनी हो चुकी है।



♦️ जनपदवार प्रतिव्यक्ति आय-

जनपद 2011-12                 2021-22
उत्तरकाशी         49584                   1,07281
चमोली             64,327                  1,27,330
रुद्रप्रयाग          46,881                   93,160
टिहरी              49,854                  1,03,345
देहरादून           1,06,552                2,35,707
पौड़ी                50,476                  1,08,640
हरिद्वार             1,76,845               3,62,688
पिथौरागढ़         52,413 1,                  18,678
बागेश्वर            46,457                  98,755
अल्मोड़ा।          55,640                   1,00844
चंपावत             52,463                   1,16,136
नैनीताल            94,142                   1,90,627
ऊधमसिंह नगर   1,26,298              2,69,070

♦️नोटः वर्ष 20111-12 आधार वर्ष, 20021-22 जारी वर्ष दर                                    
2021-22                                                    2022-23
सकल राज्य घरेलू उत्पाद         265488         3,02000
विकास दर                          7.05                  7.09
प्रति व्यक्ति आय                  205,840          2,33,000

♦️बहुआयामी गरीबी-

आर्थिकी में सुधार के बावजूद राज्य के सामने बहुआयामी निर्धनता के रूप में बड़ी चुनौती उपस्थित है। बहुआयामी गरीबी में हेड काउंट रेशियो के घटते क्रम में उत्तराखंड 15वें स्थान पर है। राज्य में 17.72 प्रतिशत जनसंख्या बहुआयामी निर्धर है। इनमें 25.65 प्रतिशत हेड काउंट रेशियो के साथ अल्मोड़ा जनपद सर्वाधिक निर्धन है। यह दर राष्ट्रीय औसत से अधिक है। जिलों में ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक निर्धनता हरिद्वार में 29.55 प्रतिशत है। नगरीय क्षेत्र में चम्पावत जिला सबसे अधिक 20.90 प्रतिशत निर्धन हैं। वहीं बागेश्वर जनपद की यदि बात करें तो यहाँ 19.9 प्रतिशत निर्धन हैं। 

हालांकि, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, ग्रामोदय योजना, स्वर्णजयंती रोजगार योजना समेत कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन गरीब आज भी गरीब ही है। साफ है कि योजनाओं के क्रियान्वयन में कहीं न कहीं खोट है, जो नीति नियंताओं को नजर नहीं आ रहा।