आज हम आधुनिकतावाद के उस चरम पर हैं, जिसके बारे में हीर-राझे, राजुला-मालुशाही ने कभी सपने में भी इस तरह के इश्क की कल्पना नही की होगी। तो आप इसका भी अंदाज़ा लगाते चलें की ये नई पीढ़ी के लोग आपको कितना याद और कितना यादों में सम्भाल कर रखेंगे........
डिजिटल इंडिया के दौर में 'लिखे जो खत तुझे' और 'फूल तुम्हे भेजा है खत में' जैसे गीत अब सिर्फ गीत बनकर रह गए है,जबकि कभी इनमे एहसासों की सुगंध हुआ करती थी। अब हमैं इन अहसासों को कहानियों क़िस्सों के माध्यम से ही ज़िन्दा रखना होगा। चिट्ठी लिखना, महबूबा की गली से गुजरना व किताबो में गुलाब देना,जैसे क्रियाकलाप कम ही नज़र आते है।कारण मोहल्ले,समाज व सोसाइटी के साथ साथ इश्क़ का भी डिजिटल हो जाना है।
वर्तमान जमाने का इश्क़ इन्टरनेट के रहमो करम पर पल रहा है। इश्क़ उन्ही का परवान चढ़ रहा है जिनके पास तेज़ इन्टरनेट कनेक्शन है,धीमे कनेक्शन वालों के पास तो जब तक महबूबा का रिप्लाई आता,बड़ी देर हो चुकी होती है।जहां आपका इन्टरनेट से कनेक्शन टूटा वही इश्क़ की दीवारों से पपड़ी उखड़ने लग जाती है।क्योंकि कभी आँखें मिलती थी,लब मुस्कुराते हैं पर आज उंगलियाँ चलती हैं फ़ोन के कीपैड पर।
नयी पीढ़ी का इश्क़ फेसबुक,ट्विटर,व्हाट्सअप पर ही पनपता है और एक अंतराल के बाद वही कहीं खो जाता है।कभी इश्क़ में महबूबा के छत पर आने का इंतज़ार होता था आज उसके मैसेंजर पर ऑनलाइन आने का इंतज़ार होता है। कभी अपने हाथ से बनाए कार्ड दिए जाते थे और आज तरह तरह के स्टिकर कमेंट से रिझाया जाता है। गौर करने वाली बात ये हैं कि जितने ज्यादा बातचीत के जरिए बढ़ते जा रहे हैं रिश्ते उतने ही धीमी मौत मरते जा रहे हैं!
वैसे इसके फायदे भी कई है...पहले प्यार में नाकामी पर युवा प्रेमी हाथ की नस काट लेते थे पर अब विरोध में सिर्फ अपनी आईडी बंद कर दिया करते है। पहले इश्क़ के चर्चे मोहल्ले में न हो जाए इसका खतरा होता था वही आज आप फेसबुक/व्हाट्सअप पर दर्जनों के साथ इश्क़ लड़ा सकते बिना किसी को कानोकान खबर हुए।
वैसे इश्क़,इश्क़ होता है,डिजिटल हो या पौराणिक। कभी सिर्फ गली मोहल्ले में प्यार तलाशने वाले आज सात समंदर पार महबूबा की खोज कर रहे,इसे भी विकास का ही एक भाग माना जाना चाहिए और वैसे भी अगर ज़ज़्बात सच्चे हो तो इश्क़ मुकम्मल होना ही है फिर चाहे वो मैसेंजर पर जन्मा डिजिटल इश्क़ ही क्यों ना हो।अब तो बस ये देखते जाना है कि डिजिटलाइज़ेशन की अंधाधुंध दौड़ में इश्क़ रफ़्तार बनाए रखने में कामयाब हो पाता है या लड़खड़ा जाएगा।इश्क़ करते रहिए साहब, दौर तो यूँ ही बदलते रहेंगे।❤️
No comments:
Post a Comment