Wednesday, 12 June 2024

पहाड़ का लड़का



उत्तराखंड, पहाड़ का लड़का दिल्ली में जाकर जवान होता है 
पहली बार क्लीवेज को नजदीक से देखता है

तपती धूप में लड़कियों के गुजरने से परफ्यूम की स्मेल 
से सीने को ठंडक मिल जाता है 

लड़की ही नहीं लड़को को देखकर भी रुक जाते हैं 
कुछ जिम जाने का प्लान करते हैं कुछ सिर्फ प्रोटीन खाते हैं




मेट्रो में टिकट स्कैन करके ट्रेन पकड़ कर खुश हो जाता है 
मोमो और कुलचे पर पॉकेट ढीली कर 
सिगरेट के धुएँ का छल्ला उड़ाता है 

भाई को भई और महिला मित्र को बंदी बोलना सीख जाता है 
दिल्ली मे पढ़ने गया लड़का 
आईटी सेक्टर में जॉब पकड़ लेता है 

कोई लेखक बन जाता है, या खुद को मान लेता है 
क्युकी साहित्य तो गांव गांव में है 
लेकिन दिल्ली में साहित्य का भी मेला लगता है 
जिसमे पहुंचती है सधी संवरी इंटेलेक्चुअल महिलाएं 
जिनसे निकलता आकर्षण और ग्लैमर इनको कलम 
पकड़ने पर विवश करता है 

फिर ये फेसबुक पर आते हैं, 
लिखते हैं 4- 5 वाक्य का छोटी-मोटी
कविता, या कई पैसे वाले तो पब्लिश भी करा लेते हैं 
ज्यादातर लिखते है ये महिलाओ के मूल पर
बनाते हैं कल्पनाएं धूल पर 
शर्ट छोड़ ढीली टीशर्ट अपना लेते हैं 
एक बैग, ब्लूटूथ और पानी का बॉटल साथ रखते हैं 
एक दिन इनको लौटना होता है अपना गांव 
ये आ तो जाते हैं 
लेकिन आखिरी सांस तक दिल्ली आंखों से बहकर रोता है 
उत्तराखंड, पहाड़ का लड़का दिल्ली में जाकर जवान होता है।

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