शब्दों और सोच का ही अहम किरदार होता है। कभी हम समझ नहीं पाते हैं और कभी समझा नहीं पाते हैं। कुछ इस तरह से तुम मेरे साथ रहना, मैं तुम्हे लिखकर खुश रहूं और तुम पढ़कर हमेशा मुस्कुराते रहना।
"मैं तुम्हें अथाह प्रेम करती हूँ, मगर तुम मुझे हमेशा कष्ट ही देते हो। मैं जब भी तुम्हारे गले लगती हूँ, तुम मेरा बदन जला देते हो।" रोटी ने तवे से शिकायत की।
तवे ने आह भरते हुए कहा "काश! तुम मुझे दोषी मानने की बजाय सच्चाई जानने का प्रयास करती। सच तो यह है कि मैं उस वक़्त तक तुम पर कोई आँच नहीं आने देता जब तक कि मैं पूरी तरह जल नहीं जाता। तुम तक जो तपिश आती है वह मेरे जलने की होती है, मगर तुम इस ढंग से कभी सोच ही नहीं सकी। सोच का यही अंतर दुःख का कारण है।"
रोमांटिक होना छिछोरा होना नहीं होता। इंसान वही रोमांटिक हो सकता है जिसमें एहसास को समझने की कुव्वत हो। जिसमें जज़्बात हों, आरज़ू हों, भावनाएं हों, ज़िंदादिली हो, जो प्रेम को जीना जानता हो, जो देना जानता हो, जो बेइंतहा एहसासों से भरा हो, जिसमें आकाश जैसी विशालता हो, जिसमें फूलों की कोमलता ही नहीं उनकी सुगन्ध भी हो, जिसका वजूद बहुत नन्ही नन्ही चीज़ों से जुड़ा हो, जो शुक्र करना जानता हो, जो अलसाई हवा को भी तेज़ और सुवासित करना जानता हो, जो सूखे गुलाबों को भी महक से सराबोर करना जानता हो, जो मुस्कुराहटों में छिपे दर्द पहचान ले, जो फीके रंगों में चमक भर दे, जो भीड़ में भी हमें पहचान ले।
जब दुःख और कड़वी बातें दोनों ही सहन कर सको। तब समझ लीजिए के आप जीवन जीना सीख गए। उम्र का मोड चाहे कोई भी हो, बस धड़कनों में नशा ज़िंदगी जीने का होना चाहिए।
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