Sunday, 30 October 2022

"बड़े अच्छे लगते हैं"



तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे, 
मैं एक शाम चुरा लूं अगर बुरा न लगे। 

शायर को शायद शाम ही चुरानी थी। क्योंकि मौसम अच्छा हो तो दिन का कोई भी हिस्सा चुराया जा सकता था। लेकिन शाम ही क्यूं चुरानी है? 
शायद शाम ख़ास है। शाम ख़ास ही होती है। दिन का ऐसा प्रहर जिसमें कितनी ही कोपलें फूटने लगती हैं। समय के बाकी हिस्से आप देते रहेंगे खाद, पानी लेकिन कोपल शाम को ही दिखती है। 



“शाम को सिर्फ़ सूरज नहीं डूबता, बिछड़े हुए प्रेमियों के दिल भी डूब जाते हैं। जो चाँद ही न आए किसी शाम, धरी न रह जाएंगी लेखकों की कलम ? शाम ही है कि घर ले जाती है, सुबह ने तो दूर ही किया है सदैव।”

शाम संभवतः सबसे सुंदर आलिंगनों की गवाह है। विदा लेते हैं दिन के आए मेहमान और दावत पर पुराने मित्र अक्सर शाम को ही तो आते हैं। इस समय आसमान से सिर्फ़ सूरज नहीं उतरता दिन भर की थकन उतारने के जतन भी होते हैं। किसी शाम सोके उसी शाम उठ जाएं अगर, तो अगला दिन हो जाने का भरम होता है। क्या किसी अगले दिन सी ही हैं शाम ? तो कौन न चुरा लेगा अगला दिन एक शाम पहले। 

          

आजकल सोनी पर एक सीरियल आ रहा है "बड़े अच्छे लगते हैं"। मैं सीरियल्स वगेरा ज्यादा फॉलो नहीं करता, पर इसके प्रोमो ने मेरा ध्यान अपनी ओर खींच लिया। जब सीरियल की हीरोइन जो कि 32 साल की उम्र में शादी करने जा रही है। कहती है कि "टीचर हूं सेल्फ डिपेंडेंट हूं पर फिर भी लोग पूछते हैं कि शादी कब कर रही हो, कोई भी अचीवमेंट शादी के सर्टिफिकेट को मैच नहीं कर सकता।" 

इस बात ने एक बार फिर से मुझे भारतीय समाज का असली चेहरा दिखा दिया। भारतीय समाज में शादी का बड़ा महत्व है, और लड़की की शादी तो जैसे सामाजिक मुद्दा बन जाता है। लड़की अगर पच्चीस पार कर जाए तो लोगों के सवाल बढ़ते ही चले जाते हैं। एक साथ बैठी ऑंटियों को गॉसिपिंग का अच्छा टॉपिक मिल जाता है। लोग न तो उस लड़की की मनोदशा समझते हैं, ना घरवालों की मजबूरियां। समझते हैं तो बस ये कि शादी क्यों नहीं कर रहे? 

बड़ा आसान होता है लोगों के लिए कहना कि इस उम्र में कुंवारी है तो कोई कमी होगी। अधिक उम्र की कुंवारी लड़की का चरित्र हनन करने का तो जैसे अधिकार मिल जाता है। बड़ी ही आसानी से लोग बोल देते हैं कि 31की उम्र में भी कुंवारी है तो अब कौन सी सती सावित्री बैठी होगी?  




और अगर लड़की जॉब वाली हो तो लोगों को कहने का मौका मिल जाता है कि घरवाले बेटी की कमाई खा रहे हैं। लड़कियों की उम्र और शादी का ऐसा संयोजन दिमाग में बैठाए हुए है। भारतीय समाज कि अगर लड़की की शादी 18 से 25 के बीच हो गई तो ठीक नहीं तो सब बेकार। लड़की अगर बहुत काबिल है तो भी बोल देते हैं क्या फायदा अगर शादी और बच्चे नहीं हैं, क्या करेगी इतना कमाकर जब अकेले ही रहना है? 

अरे भई!! अगर 18 की उम्र में शादी करके 25 की उम्र में तलाक़ हो जाए तो, या 21 की उम्र में शादी कर के भी सालों तक बच्चे न हों तो ?? ऐसी भी लड़कियां होती हैं जो 20 की उम्र में शादी कर के 22 की उम्र में विधवा हो गई हैं और इस बीच अगर मां बन गईं हैं तो बच्चों का वास्ता देकर पूरी उम्र उसकी दूसरी शादी नहीं की जाती। 

ऐसे भी उदाहरण देखें हैं जब कम उम्र में शादी करने के चक्कर में अनसेटल्ड लड़का जो पढ़ ही रहा है से शादी कर देते हैं, और बाद में कुछ भी सेटल नहीं होता। इस समाज को समझने की और बदलने की बहुत ही ज्यादा जरूरत है। शादी ज़िंदगी का हिस्सा है पूरी ज़िंदगी नहीं है। शादी से भी ज़रूरी काम होते हैं मानव जीवन में और शादी इच्छा के साथ साथ इच्छा अनुसार व्यक्ति के साथ हो तो ही अच्छी होती है। 



मुझे लगता है, सिर्फ समाज की खुशी के लिए यूं ही किसी के साथ बंध जाना शादी का मकसद नहीं होना चाहिए। क्योंकि समाज का क्या है, आएगा ,नाचेगा, खाना खायेगा, दो चार कमियां निकालेगा और चला जायेगा। फिर निभाना लड़का-लडकी को ही है। शादी के बाद होने वाली परेशानियों को कभी सुलझाया है समाज ने? नहीं ना ?

तो मेरे हिसाब से बराबरी की शादी, मनपसंद शादी, इच्छानुसार वर से शादी और वो शादी जिसमें सब खुश हों वही सबसे अच्छी शादी है, नहीं तो सब बर्बादी है, फिर चाहे किसी भी उम्र में हो। बाकी उम्र आपकी फ़ैसला आपका।

अब आप सोच रहे होगे कि अपनी बात कर भाई, लोगों का क्या? लोगों का तो बस काम ही है कहना, तो कुछ तो लोग कहेंगे ही। क्या करोगे सुनकर मुझसे मेरी कहानी, बेलुत्फ जिन्दगी के किस्से हैं फीके फीके साहब…………

1 comment:

  1. You are absolutely right my friend....it's a hypocrisy of our so called samaj... marriage is just like a social stigma I don't understand why everyone's are thinking like that... should be changed....

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