Sunday, 8 November 2020

कुछ चिट्ठीयाँ लिखनी है तुम्हें...

नमस्कार 🙏🏻

अगर आप साथ हैं तो चलो कुछ नया सा करते हैं मगर पुरानी चीजों को साथ लेकर। मुझे कुछ चिट्ठियाँ लिखनी हैं तुम्हें! तुम्हारे उस पते पर जहाँ तुम अभी तक शिफ़्ट ही नही हुए! वो सब बातें लिखनी हैं जो होती हैं तुम्हारे बग़ैर तुम्हारे बारे में! तुमसे जुड़ी हुई।

चिट्ठियाँ जिसमें तुम होगे, तुम्हारा अक़्स होगा और होंगे सारे लम्हे। चिट्ठियों में जान होती है। वो जो काग़ज़ होता है न, स्पर्श सा होता है और वो स्याही! तुम्हारी महक हो जैसे। तुम्हारे उलझे हुए बालों सी मेरी गंदी सी राईटिंग(जिसके कारण आजतक सेकेंड डिविज़न ही पास हुआ हूँ!) मैं लिखे अल्फ़ाज़ जिसमें होंगी भावनाएँ। पूर्ण विराम होगा तुम्हारा गले लग जाना और कॉमा होगा तुम्हारे माथे को चूम लेना। तो जितनी बार पूर्ण विराम और कॉमा आए तो तुम में उपस्थिति महसूस कर लेना! 


तुमको चिट्ठियाँ इस लिए भी भेजनी है क्यूँकि मेरे पास तुम्हारे लिए कभी कोई कारण नही होता है। जैसे साँसे लेना अनवरत या पलकों का झपकना बेवजह। वैसे ही तुम्हारी याद आना और और तुम्हारी कही गयी बातों को ज़हन में लेके मुसकाने पे मेरा कोई ज़ोर नही है। 

हालाँकि तुमसे कोई उम्मीद नही है अब मुझको क्यूँकि उस उम्मीद के फ़ेज़ से बहुत आगे निकल आया हूँ मैं। मालूम है तुमसे उम्मीद करना वैसा ही है जैसा चाँद को पतंग के माँझे से पकड़ के खींच लेना। ख़ैर...

सुनो, बहुत सी चिट्ठियाँ लिखनी है। क्यूँकि तुमको बताना है वो सब जो कभी हुआ ही नही और जो सोचा था कि कभी होगा। आइये एक नये दौर में आज स्थापना दिवस के मौक़े पर उन सभी शहीदों को नमन करते हुए आन्दोलनकारियों को प्रणाम कर मेरे उत्तराखंड के दर्द को अपने शब्दों के माध्यम से चिट्ठी के रूप में आप भेजिए जरुर सांझा करेंगे, आपका दर्द, आपकी सोच, आपके विचार। चिट्ठियाँ सच्ची होती हैं। तुम्हारी मुर्दी आँखो जितनी सच्ची। जिसमें मुझे सारा जहाँ दिखता है अब। सिवाए अपने चेहरे के........



उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
कुछ चिट्ठीयाँ लिखनी है तुम्हें...
#बेरोज़गार_उत्तराखंडी®️✍🏻

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