Sunday, 22 May 2022

लोगों का काम है कहना, कुछ तो लोग कहेंगे....



प्रणाम! कई दिनों की व्यस्तता के बाद आज फिर यहाँ लौटा हूँ तो चलिए आज आपको एक कहानी सुनाता हूँ।


एक बार की बात है, एक साधू किसी नदी के पनघट पर गया और पानी पीकर वहीं पत्थर पर सिर टिकाए सो गया। पनघट पर पनिहारिन आती-जाती रहीं और कुछ न कुछ कहती-सुनती रहीं। तभी तीन-चार पनिहारिनें पानी के लिए एक साथ आ गईं तो उनमें गपशप भी शुरू हो गईं।

एक पनिहारिन ने कहा:

“ये देखो! साधु हो गया, फिर भी तकिए का मोह नहीं गया। पत्थर का ही सही, लेकिन रखा तो है। भोग-विलास से इतना मोह!”

पनिहारिन की बात साधु ने सुन ली। उसने तुरंत पत्थर फेंक दिया।

तभी दूसरी बोली: "साधु तो हो गया, लेकिन खीज नहीं गई। अभी रोष नहीं गया, मन पर नियंत्रण नहीं है। यूँ क्रोध में तकिया फेंक दिया।” 

तब साधु सोचने लगा, अब वह क्या करे?

तभी तीसरी पनिहारिन बोली :

"बाबा! यह तो पनघट है। यहाँ तो हमारी जैसी पनिहारिनें आती ही रहेंगी, कुछ न कुछ बोलती ही रहेंगी, उनके कहने पर आखिर आप बार-बार यूँ ही जो है उसमें परिवर्तन करोगे तो साधना कब करोगे?”

पास ही खड़ी एक चौथी पनिहारिन ने भी कुछ कहने के क्रम में कमाल की बात कह दी :

“महात्मा, क्षमा करना, लेकिन हमको लगता है, आपने सब कुछ तो छोड़ा लेकिन अपना चित्त नहीं छोड़ा है, अभी तक मन से आप वही का वही बने हुए हैं। जो सन्यास से पहले थें। 

दुनिया आपको पाखण्डी कहे तो कहे, आप जैसे भी हो, बस हरिनाम लेते रहो, अपनी धुन में अपनी साधना में रहो।” 

सच ही तो है, दुनिया का तो काम ही है कहना, कुछ तो लोग कहेंगे।

आप ऊपर देखकर चलेंगें तो कहेंगे- “अभिमानी हो गए।”

नीचे देखकर चलेंगें तो कहेंगे- “किसी को कुछ समझता ही नहीं, यहाँ तक कि किसी की तरफ देखता भी नहीं।”

आँखे बंद कर लेंगे तो कहेंगे कि- “देखो, ध्यान का नाटक हो रहा है।”

चारो ओर देखना चाहेंगे तो कहेंगे कि- “नज़र का ठिकाना नहीं। भटकती आत्मा की तरह निगाह भटकती ही रहती है।”

गर दुनिया से परेशान होकर आपने आँखें फोड़ लीं तो फिर यही दुनिया आपको कहती मिलेगी कि- “किया हुआ भोगना ही पड़ता है। ये पाप का दंड है।”

हो सकता है, यह कहानी थोड़े बहुत बदलाव के साथ आपने पहले भी पढ़ी या सुनी होगी, न भी सुना हो तो मर्म समझिए, हर दौर में लगभग ऐसा ही रहा समाज, कहने का संक्षेप में मतलब यही है कि....

कहीं न कहीं अतिरंजना में यह भी कहा जा सकता है कि ईश्वर को राजी करना आसान है, लेकिन संसार को, यहाँ के सभी लोगों को राजी करना मुश्किल है, कुछ आड़े-टेढ़े, रूठे, खुन्नस खाए रहेंगे ही आपसे, जो आपको आगे बढ़ता हुआ नहीं बल्कि अक्सर पीछे धकेलने में लगे रहेंगे।

मतलब यही कि दुनिया क्या कहेगी, अगर उस पर ज़रूरत से ज़्यादा ध्यान देंगे तो आप न ध्यान लगा पाएँगे और न खुद का ध्यान रख पाएँगे।

अर्थात जो पूरे जतन से कर रहे हैं उस पर भी संदेह हो जाएगा और भी बहुत कुछ बाकी आप खुद ही समझ सकते हैं। 

आनंदमस्तु!

Sunday, 15 May 2022

”रॉंग नम्बर” पर एक दिल दहला देने वाली हकीकत



एक घर के मोबाइल नम्बर पर “रॉंग नम्बर” से कॉल आई.. घर की एक औरत ने कॉल रिसीव की तो सामने से किसी अनजान शख्स की आवाज़ सुनकर उसने कहा ‘सॉरी रॉंग नम्बर’ और कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.. उधर कॉल करने वाले ने जब आवाज़ सुनी तो वो समझ गया कि ये नम्बर किसी लड़की का है, अब तो कॉल करने वाला लगातार रिडाइल करता रहता है पर वो औरत कॉल रिसीव न करती। फिर मैसेज का सिलसिला शुरू हो गया जानू बात करो न!! मोबाइल क्यूँ रिसीव नहीं करती..?

एक बार बात कर लो यार! उस औरत की सास बहुत मक्कार और झगड़ालू थी.. इस वाक़ये के अगले दिन जब मोबाइल की रिंग टोन बजी तो सास ने रिसीव कर लिया.. सामने से उस लड़के की आवाज़ सुनकर वो शॉक्ड रह गई, लड़का बार बार कहता रहा कि जानू! मुझसे बात क्यूँ नहीं कर रही, मेरी बात तो सुनो प्लीज़, तुम्हारी आवाज़ ने मुझे पागल कर दिया है, वगैरह वगैरह… सास ने ख़ामोशी से सुनकर मोबाइल बंद कर दिया जब रात को उसका बेटा घर आया तो उसे अकेले में बुलाकर बहू पर बदचलनी और अंजान लड़के से फोन पर बात करने का इलज़ाम लगाया..

पति ने तुरन्त बीवी को बुलाकर बुरी तरह मारना शुरू कर दिया, जब वो उसे बुरी तरह पीट चुका तो माँ ने मोबाइल उसके हाथ में दिया और कहा कि इसी में नम्बर है तुम्हारी बीवी के यार का.. पति ने कॉल डिटेल्स चेक की फिर एक एक करके सारे अनरीड मैसेज पढ़े तो वो गुस्से में बौखला गया.. उसने तुरन्त बीवी को रस्सी से बाँधा और फिर से बेतहाशा पीटने लगा और उधर माँ ने लड़की के भाई को फोन किया और कहा कि हमने तुम्हारी बहन को अपने यार से मोबाइल पर बात करते और मैसेज करते हुवे पकड़ लिया है.. जिसने तुम्हारी इज्जत की धज्जियां उड़ा दी है..!! 

खबर सुनकर लड़की की माँ और भाई भी वहाँ पहुंच गए ...पति और सास ने इल्जाम लगाए और ताने मारे तो लड़की के भाई ने उसे बाल पकड़कर खुब पीटा ...लड़की कसमे खाती रही झूठे इल्जाम के लिए चीखती चिलाती रही, अपनी जाहिल और और शैतान सास और पति के आगे बेबस रही ...........

लड़की की माँ ने अपनी बेटी से कहा कि भारतीय होकर गीता पर हाथ रखकर कसम खाओ तो उसने नहाकर फौरन गीता पर हाथ रखकर कसम खाई , मगर शैतान सास ने इसे भी नकार दिया और कहा जो अपने पति से गदारी कर सकती हैं उसके लिए गीता पर हाथ रखकर कसम खाना कौन सी बड़ी बात है ...


इसके साथ पति ने सारे मैसेज लड़की के भाई को दिखा दिया जो लड़के ने किया था ..और सास ने चालाक और मक्कार कहकर आग पर घी डाल दिया ..लड़की के भाई को गुस्सा आया और उसका पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा उसने पिस्तौल निकाला और लड़की के सर में चार गोली मार दी इस तरह ' एक राग नम्बर ने एक खानदान उजाड़ दिए ' ...3 बच्चो को अनाथ कर  दिया ...लड़की के दूसरे भाई को पता चला तो उसने अपने भाई लड़की के पति उसके सास और राग नम्बर पर fir कर दिया ..

पुलिस और साईबर ने जब राग नम्बर कि जाच कि तो पता चला तो कि लड़की ने बस एक बार उस राग नम्बर का काल रिसीव कि थी और उसके बाद वो उस नम्बर से काल और मैसेज करते के लड़की को फ़साने के चक्कर में लगा था ..सारी बाते साफ़ होने के बाद जब दूसरे भाई को पता चला जिसने अपने बहन को मारा था उसने जेल मे ही खुदाखुशी कर लिया और राग नम्बर से काल करने वाले लड़के पुलिस पकड़कर हावालात में डाल दिया और इस तरह एक राग नम्बर ने 3 दिनो में एक भारतीय दामन औरत और उसके तीन बच्चो से हमेशा के लिए अलग कर दिया और अगले 13 दिनों में 3 बच्चे को अनाथ और 3 खानदान तबाह और बर्बाद कर दिया..

रॉन्ग नंबर

आज दिन में बहुत लम्बे समय के बाद एक नए नंबर से कॉल आई, मैंने एक बार फिर जरा देर सोचने के बाद कॉल रिसीव करने की सोच ही डाली। 

जैसे ही मैंने फोन उठाया और कहा, हैलो जी……..


आवाज़ से पता लगा कि दूसरी तरफ से कोई औरत थी। परन्तु हैलो का जवाब दिये बगैर ही वो महिला बड़े ही आक्रामक होकर बोली, हैलो जी…….. के बच्चे सुबह नाश्ता किये बगैर ही क्यों चले गए ऑफिस ? कितनी बार कहा रात की लड़ाई को सुबह भूल जाया करो, लेकिन तुम्हें समझ नहीं आती। आज तुम आओ तो घर मैं ठीक से तुम्हारी तबीयत साफ करती हूं। अगर तुम्हारे बच्चों का ख्याल ना होता तो तुम्हें मैं कब की दूर दफा कर चुकी होती। 

वह औरत अनाप-शनाप बोले जा रही थी और मैं हक्का-बक्का सोच रहा था, कि यह कौन मासूम औरत है ? जो मुझे अपना पति समझ कर इतनी ख़ातिरदारी के साथ क्लास ले रही है। 

इधर तो आलम ये है कि अभी अपनी शादी तो छोड़ो मंगनी का भी दूर-दूर तक कोई सीन नजर नहीं आता, ये मोहतरमा तो बच्चों को सम्भालने तक पहुंच चुकी है। 

जैसे ही वो जरा रुकी तो मैंने कहा, मोहतरमा आपने शायद
रॉन्ग नंबर पर क्लास ले ली है लेकिन मैं आपका बहुत- बहुत शुक्रगुजार हूं कि दो मिनट ही सही लेकिन मुझे आपने शादीशुदा वाली फीलिंग करा ही दी आपकी कलास से। 

सामने से हसने कि बहुत तेज आवाज़ आने लगी, फिर एक बार मैं सोच में पड़ गया आंखिर कौन है ये महिला ? कहने लगी,मैं भी कोई शादी शुदा नहीं हूं, बस दिल की तसल्ली के लिए कभी-कभी रॉन्ग नंबर पर मर्द की आवाज सुनकर क्लास ले लेती हूं। जिससे दिल♥️ को तसल्ली सी हो जाती हैं। फिर एक बार हम दोनों साथ मिलकर हसने लगे और उसने कॉल डिसकनेक्ट कर दी। पता ही नही चल पाया आंखिर कौन महारथी थी, जो इतनी आत्मीयता के साथ हम जैसों से कॉल पर मज़े ले रही थी।

Sunday, 1 May 2022

कभी मुंबई में ऑटो चलाते थे, आज गाँव में कमा रहे हैं पैंतीस हजार रुपए महीना


 - अभिनेता सोनू सूद उनके परिवार के लिये भगवान समान 


हर कोई जीवन में एक अच्छी नौकरी के लिए कड़ी मेहनत करता है जिसके लिये पहाड़ का युवा महानगरों की ओर रूख करता है। लेकिन आज हम एक व्यक्ति के बारे में बताएंगे, जो महानगरों की दिनचर्या छोड़ पहाड़ के लिये आज किसी रोल मॉडल से कम नही है। 
दरअसल आज हम बात कर रहे हैं बागेश्वर जनपद के काण्डा ब्लॉक के दिगोली गाँव निवासी 42 वर्षीय कुन्दन सिंह बोरा की जिनका रोज़गार क़ोरोना के चलते छिन गया पर उन्होंने हिम्मत नही हारी और परिवार के साथ अपने गाँव दिगोली पहुंचकर पत्नी दीपा बोरा संग मिलकर शुरू किया गाय पालन व दूध डेयरी व्यवसाय। कहते हैं ना, दुनिया में अगर जोश और होश से काम लिया जाये तो इंसान पहाड़ों को चीर सकता है। आप अगर कुछ भी पाना चाहते हैं, तो वह आपको एक झटके में नहीं मिलती। आपको उसके लिए लड़ना पड़ता है और जब तक इंसान अपनी सोच को बड़ा नहीं करेगा, तब तक वह अपनी ज़िंदगी में कुछ भी बड़ा हासिल नहीं कर पाएगा। जहां कोविड के चलते बड़े बड़ों की हिम्मत जवाब दे गई वहीं एक बार अपनी मेहनत व लगन से सब कर दिखाया कुन्दन व उसकी पत्नी दीपा ने। जो क्षेत्र के युवाओं के लिये आज एक उदाहरण बन बैठे हैं। 


♦️पन्द्रह सालों से मुंबई में ऑटो चलाते थे- 
कुन्दन सिंह बोरा बताते हैं कि वह पिछले पन्द्रह सालों से मुंबई में ऑटो चलाने का काम करते थे। जिससे होने वाली कमाई से वह अपना परिवार चलाते थे। उनका जीवन हंसी खुशी चल रहा था फिर कोविड के चलते उनका रोज़गार छीन गया। जिसके बाद परिवार का भरण पोषण करना बहुत मुश्किल हो गया था। जून माह में अभिनेता सोनू सूद के सहयोग से मैं और मेरा परिवार घर वापस आ पाया। मेरे परिवार में मैं मेरी पत्नी दीपा देवी 32 वर्ष, पुत्र श्रेयश दस वर्ष है जो कक्षा पांच में पढ़ाई कर रहा है व एक पुत्री श्रेया 13 वर्ष की है जो कक्षा आठवीं में पढ़ाई कर रही है।  


कुन्दन सिंह बोरा व उनकी पत्नी दीपा अपने बेटे श्रेयश के साथ। 



♦️बहन से गाय उधार लेकर की शुरुआत -
कुन्दन सिंह बोरा व उनकी पत्नी दीपा बताते हैं कि पिछले वर्ष जब वह गांव वापस अपने परिवार के साथ पहुंचे तो उनकी माली हालत कुछ ख़ास नही थी जिसके चलते उन्होंने यहीं रहकर कुछ काम करने की सोची। काफी सोच विचार के बाद उन्होंने फिर जून माह में अपनी बहन से एक गाय उधार में लेकर अपना यह डेयरी व्यवसाय प्रारम्भ किया। वह बताते हैं कि आज उनके पास 12 दूध देने वाली गायें व 6 बछिया हैं। 
वह बताते हैं कि आज से पहले मैंने व मेरी पत्नी ने इस तरह कभी घर का काम नही किया था। परन्तु मुझे खुशी हैं कि आज मेरे इस कदम में मेरी पत्नी भी कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़ी है। हम दोनो लगातार दिनरात मेहनत करते हैं। जिसके चलते अभी आज 55 से 60 लीटर गाय का दूध हम अपने गाँव से लगभग 15 किमी दूर काण्डा व उसके आस-पास डोर टू डोर लोगों को उपलब्ध करा रहे हैं। 


♦️डेयरी फ़ार्मिंग का सपना है -
कुन्दन सिंह बोरा व उनकी पत्नी दीपा बताती हैं कि आज पहाड़ों में गाँव के लोग गाय व गोबर से नफ़रत करने लगे हैं। हमें यह काम करता देख अक्सर लोग ये कहते नजर आते हैं कि “आप कैसे कर लेते हैं”। यह बेहद चिंतनीय है कि हमारा समाज आंखिर किस ओर बड़ रहा है। वह बताते हैं कि उनका सपना है कि वह डेयरी फ़ार्मिंग करें व उसके माध्यम से अपने आस-पास के गावों में भी रोज़गार के अवसर पैदा कर सके। जिससे आने वाले समय में पहाड़ों से होने वाले पलायन की समस्या से भी छुटकारा पाया जा सके। वह कहते हैं कि जब हमारे लोगों को हमारे ही गावों में अपने घर पर रहकर रोज़गार मिलने लगेगा तो कोई क्यूँ घर से दूर जाना चाहेगा। 



♦️अभी तक जनप्रतिनिधियों ने नही दिखाई कोई दिलचस्पी - 
कुन्दन सिंह बताते हैं कि इस व्यवसाय के लिये मैं पूर्व में विधायक रहे बलवन्त सिंह भौर्याल जी के पास दो बार जाकर मिला। तो उन्होंने बताया कि आपके लिये मोदी जी ने 52 योजनाएँ संचालित की हुई हैं, परन्तु वह एक भी योजना दिलाने में असमर्थ रहे। फिर उन्होंने एक मनरेगा के माध्यम से पैंतीस हजार रुपए की लागत वाली गौशाला स्वीकृत की जो मेरे द्वारा नही ली गयी। जिसके निर्माण में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था, मेरे पास समय का अभाव होने के कारण यह स्थगित करना ही उचित लगा। फिर अभी कुछ दिन पूर्व जीत के बाद धन्यवाद के लिए क्षेत्र में आये विधायक सुरेश गाड़िया से मुलाक़ात नही हो पायी उन्होंने अगली बार आने का संदेश भिजवाया है। चुनाव के समय पूर्व विधायक ललित फ़र्स्वाण भी घर पर आये हुए थे उन्होंने भी हर सम्भव सहयोग का भरोसा जताया था। वह बताते हैं कि अभी कुछ दिन पहले पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐंठनी भी काण्डा के अपने साथि ब्लॉक स्तरीय नेताओं के साथ यहाँ पहुंचे थे तो उन्होंने बड़ी प्रशंसा करते हुए कहा कि “आप बहुत सराहनीय कार्य कर रहे हैं। आप आज के युवाओं के लिये प्रेरणा के श्रोत हैं आपको नमन करता हूँ। हमारा हर सम्भव प्रयास रहेगा कि सरकार व जिला प्रशासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ आप लोगों तक पहुँचाने का प्रयास करेंगे।” कुन्दन बताते हैं कि अभी तक उन्हें किसी का कोई सकारात्मक सहयोग प्राप्त नही हुआ है। 

कुन्दन सिंह बोरा के पास पहुंचे पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी, दीप काण्डपाल, गंगा लाल वर्मा।


♦️30 से 35 हजार प्रति माह कमा रहे हैं -
कुन्दन सिंह व उनकी पत्नी दीपा बताते हैं कि उनके यहाँ घास, बांज, हरी घास इत्यादि तो आसानी से मिल जाता है परन्तु चना, मक्का व पशु आहार उन्हें हल्द्वानी से मंगाना पड़ता है। वह बताते हैं महीने में 60 से 70 हजार रुपए का इस पर खर्च आ रहा है उसके बाद भी हम दोनो पति-पत्नी के लिये 30 से 35 हजार प्रति माह बच जाते हैं। जिसके चलते आसानी से हमारे परिवार की दिनचर्या चल जाती है। 



♦️ज़िंदगी का मकसद जानना ज़रूरी -
कुन्दन सिंह व उनकी पत्नी दीपा पहाड़ के युवाओं को संदेश देना चाहते हैं कि आप अपनी ज़िंदगी का मकसद जानिए और अपने आस-पास हो रही चीज़ों से कुछ सीखिए। आलोचना करने वाले लोग आपको बहुत मिलेंगे लेकिन आपको घबराना नहीं है बल्कि हर चीज़ों और उन सभी लोगों से सीख लेनी है, जो आपको सफल होते नहीं देखना चाहते हैं। जीवन जीना और सफल होना अगर इतना आसान होता, तो आज सभी सफल और खुश होते।वह कहते हैं कि हमारे पहाड़ के लोगों को हमारे आस-पास ही मौजूद सम्भावनाओं को समझना होगा और उसी में रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने होंगे, तभी हम सब शान्तिपूर्वक अपनो के बीच रह सकेंगे। पलायन को भी काफी हद तक स्वरोज़गार के माध्यम से कम किया जा सकता है। आज के नये युवाओं को अपने लिये रोज़गार करना चाहिये न कि दूसरे के लिये। 
बस हम यही कहेंगे कि “एक लक्ष्य निर्धारित करिए और आगे बढ़ते रहिए, सफलता आपको ज़रूर मिलेगी अगर आपकी मेहनत 100% है”।


अभिनेता सोनू सूद


♦️अभिनेता सोनू सूद मेरे लिये किसी मसीहा से कम नही -
कुन्दन सिंह बोरा व उनकी पत्नी दीपा बोरा बताते हैं कि “अभिनेता सोनू सूद उनके परिवार के लिये भगवान साबित हुए हैं । वह बताते हैं कि यदि वह नही होते तो आज हम कहां व किस हाल में होते उसका अंदाज़ा भी नही लगा सकते हैं। कुन्दन बताते हैं कि वह हमारे जैसे हज़ारों लोगों के लिए एक फ़रिश्ता बनकर सामने आये हैं तभी हम आज अपने-अपने घरों में सकुशल पहुंच पाये हैं, वर्ना आज हम कहीं मुंबई की सड़कों पर भीख मांग रहे होते। उनके द्वारा ही हमको बस के माध्यम से हल्द्वानी (उत्तराखंड) भेजा गया। जिसके लिये मैं उन्हें अपने व अपने परिवार की ओर से दिल से धन्यवाद देता हूँ। ईश्वर उन्हें खूब तरक़्क़ी दे। आज सोनू सूद के आशीर्वाद से ही मैं अपने पहाड़ में यह डेयरी फ़ॉर्मिंग कर रहा हूँ वर्ना तो शायद हम घर भी न आ पाते।”