Sunday, 4 August 2024

दोस्ती

दोस्ती, एक सलोना और सुहाना अहसास है, जो संसार के हर रिश्ते से अलग है। तमाम मौजूदा रिश्तों के जंजाल में यह मीठा रिश्ता एक ऐसा सत्य है जिसकी व्याख्या होना अभी भी बाकी है। व्याख्या का आकार बड़ा होता है। लेकिन गहराई के मामले में वह अनुभूति की बराबरी नहीं कर सकती। इसीलिए दोस्ती की कोई एक परिभाषा आजतक नहीं बन सकी। 


दोस्ती एक ऐसा आकाश है जिसमें प्यार का चंद्र मुस्कुराता है, रिश्तों की गर्माहट का सूर्य जगमगाता है और खुशियों के नटखट सितारे झिलमिलाते हैं। एक बेशकीमती पुस्तक है दोस्ती, जिसमें अंकित हर अक्षर, हीरे, मोती, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज की तरह है, बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले। 
 
एक सुकोमल और गुलाबी रिश्ता है दोस्ती, छुई-मुई की नर्म पत्तियों-सा। अंगुली उठाने पर यह रिश्ता कुम्हला जाता है। इसलिए दोस्त बनाने से पहले अपने अन्तर्मन की चेतना पर विश्वास करना जरूरी है। 

ओशो ने क्या खूब कहा है “मैंने तुम्हें अपना मित्र कहा है, मैं वचन देता हूँ कि जब भी तुम्हें मेरी जरुरत होगी, मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगा, बस मेरी जरूरत महसूस भर करो।”  

कमबख़्त ये उम्र तीस के बाद की बड़ी अजीब होती है !
ना बीस का जोश,
ना साठ की समझ,
ये हर तरह से गरीब होती है ।
ये उम्र तीस के बाद की बड़ी अजीब होती है !

सफेदी बालों से झांकने लगती है,
तेज दौड़े तो सांस हांफने लगती है !
टूटे ख्वाब, अधुरी ख्वाइशें,
सब मुँह तुम्हारा ताकने लगती है ।
खुशी इस बात की होती है
कि ये उम्र प्रायः सबको नसीब होती है ।
ये उम्र तीस के बाद की बड़ी अजीब होती है !

ना कोई हसीना 💃 मुस्कुरा के देखती है,
ना ही नजरों के तीर फेंकती है !
और आँखे लड़ भी जाये नसीब से
तो ये उम्र तुम्हें दायरे में रखती है ।
कदर नहीं थी जिसकी जवानी में,
वो पत्नी अब बड़ी करीब होती है ।🤣

ये उम्र तीस के बाद की बड़ी अजीब होती है !
वैसे, नजरिया बदलो तो
शुरू से, शुरुआत हो सकती है ।
आधी तो गुजर गयी,
आधी बेहतर गुजर सकती है ।
थोड़ा बालों को काला,
और दिल को हरा कर लो,
अधुरी ख्वाइशों से कोई समझौता कर लो !
जिन्दगी तो चलेगी अपनी रफ्तार से ही,
तुम बस अपनी रफ्तार काबू कर लो ।
फिर देखो ये कितनी खुशनसीब होती है,
ये उम्र तीस के बाद की बड़ी अजीब होती है !

आप सभी को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!

सादर प्रणाम 🙏
@followers