Tuesday, 28 February 2023

मैं बागेश्वर जनपद हूँ




“मैं बागेश्वर जनपद हूँ"
नदियाँ पहाड़ हैं शान मेरी
मैं हरा भरा सा एक जनपद हूँ 
छोटी काशी सब कहते मुझे 
मैं बागेश्वर जनपद हूँ “

खो रही अब पहचान मेरी 
कटते पेड़ ले रहे जान मेरी 
अब चंद वर्षों का बचा खेल हूँ 
मैं बागेश्वर जनपद हूँ 

ये जो नोच नोच मुझे खा रहे 
ये सब इंसान हैं कातिल मेरे 
इनकी महत्वाकांक्षा की चढ़ती भेंट हूं 
मैं बागेश्वर जनपद हूँ 

कहीं मेरे पहाडों को काट रहे 
कहीं मेरी नदियों को बाँट रहे 
अब बन रहा मैं बंजर खेत हूँ 
मैं बागेश्वर जनपद हूँ 

अपनी बदहाली पर रो रहा हूँ 
तुम इंसानों की खबाहिशें ढो रहा हूँ 
मेरी नदियाँ नाले सब सूख रहे 
पल-पल मुझे सब कोस रहे 

अब तो रूक जाओ मैं कह रहा हूँ 
बख्श दो मुझको कब से सह रहा हूँ 
अब बचा लो मुझे जितना बचा शेष हूँ 
मैं तुम्हारा अपना बागेश्वर जनपद हूँ। 


तेरे साथ चलूँ
तेरे साथ रहूं
थक कर
तेरे सीने पर
सर रख दूं
ऐसी मनमानियों को
दिल चाहता है... ❤️❤️🙏